Preventive Health
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हर उम्र में महिला प्रजनन तंत्र (Female Reproductive System) को होने वाले विकार

महिला प्रजनन तंत्र (Female Reproductive System) को होने वाले विकार उम्र के हिसाब से अलग हो सकते हैं। हर स्टेज पर क्या उम्मीद करनी चाहिए, ये समझना ज़रूरी है।
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Written by
Samruddhi
Published on
May 2, 2025

क्या आपको लगता है कि आपकी प्रजनन से जुड़ी सेहत (Reproductive Health) सिर्फ़ प्रेगनेंसी या मेनोपॉज़ के दौरान ही मायने रखती है? तो फिर एक बार फिर सोचिए। महिला प्रजनन तंत्र (Female Reproductive System) हर उम्र में बदलता है—और ये बदलाव हमेशा शांत नहीं होते।

Puberty से लेकर Post-Menopause तक, कई परेशानियाँ बिना बुलाए आ सकती हैं—जैसे PCOS (Polycystic Ovary Syndrome), Endometriosis और इंफेक्शन्स (Infections)।
Endometriosis (एंडोमेट्रियोसिस) एक ऐसी कंडीशन है जिसमें गर्भाशय की परत जैसी टिशू (Endometrial Tissue) गर्भाशय (Uterus) के बाहर बढ़ने लगती है। इससे तेज़ दर्द और दूसरी कॉम्प्लिकेशन्स (Complications) हो सकती हैं।

CDC के अनुसार, हर 8 में से 1 महिला जो प्रजनन योग्य उम्र (Reproductive Age) में है, वो Infertility (बांझपन) की समस्या से जूझती है—और ज़्यादातर बार इसकी वजह वो स्थितियाँ होती हैं जिन्हें अगर समय रहते पकड़ा जाए, तो मैनेज किया जा सकता है।

इस गाइड में, हम आपको बताएँगे कि क्या-क्या गलत हो सकता है (और कब), ऐसा क्यों होता है, और आप इससे कैसे एक कदम आगे रह सकती हैं। चिंता मत कीजिए—हम डराने नहीं आए हैं। हम चाहते हैं कि आप अपनी सेहत पर कंट्रोल लें।

उम्र के साथ प्रजनन सेहत (Reproductive Health) क्यों बदलती है

Why Reproductive Health Changes With Age
उम्र के साथ प्रजनन सेहत (Reproductive Health) क्यों बदलती है

जैसे-जैसे आपका शरीर बढ़ता है, वैसे-वैसे आपका प्रजनन तंत्र (Reproductive System) भी बदलता है। ये बदलाव आम हैं, लेकिन इसके साथ कुछ चुनौतियाँ भी आती हैं। कुछ महिलाओं को जीवन के अलग-अलग पड़ावों—जैसे Puberty, Pregnancy या Menopause—में निचले पेट (Lower Abdomen) में प्रजनन तंत्र से जुड़ी समस्याएं हो सकती हैं।

उम्र क्यों मायने रखती है?

  • Hormone का स्तर समय के साथ बदलता है। इससे Uterus (गर्भाशय), Ovaries (अंडाशय) और Cervix (गर्भाशय ग्रीवा) प्रभावित हो सकते हैं।
  • Puberty के दौरान लड़कियों को Vaginal infections (योनि संक्रमण) या माहवारी से जुड़ी दिक्कतें शुरू हो सकती हैं।
  • 30 की उम्र पार करने वाली महिलाओं को Polycystic Ovary Syndrome (PCOS) या Uterine fibroids (गर्भाशय में गांठें) की वजह से Infertility (बांझपन) या Pelvic pain (पेल्विक दर्द) हो सकता है।
  • उम्र बढ़ने पर Immune system (रोग प्रतिरोधक क्षमता) कमजोर हो जाता है, जिससे संक्रमण (Infections) और बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है।
  • Menopause के बाद Vaginal dryness (योनि में सूखापन), Bladder issues (मूत्राशय से जुड़ी समस्याएं) या Uterine prolapse (गर्भाशय खिसकना) जैसी दिक्कतें हो सकती हैं।

World Health Organization (WHO) कहता है, “35 साल से ऊपर की महिलाओं में Endometriosis (एंडोमेट्रियोसिस) और Chronic inflammation (दीर्घकालिक सूजन) जैसी प्रजनन बीमारियों का जोखिम बढ़ जाता है।”

स्वस्थ रहने का मतलब है:

  • नियमित Pelvic exams (पेल्विक जांच) कराना
  • पौष्टिक खाना खाना
  • शरीर में दिखने वाले शुरुआती Symptoms (लक्षण) को पहचानना

अगर आपको असामान्य Vaginal discharge (योनि स्राव), Bleeding (रक्तस्राव) या Pain (दर्द) हो रहा है, तो डॉक्टर से ज़रूर मिलें। समय पर देखभाल करने से छोटी समस्याएं बड़ी बनने से रोकी जा सकती हैं।


हर उम्र के हिसाब से महिला प्रजनन तंत्र (Female Reproductive System) की समस्याएँ

Disorders of the Female Reproductive System by Age Group
हर उम्र के हिसाब से महिला प्रजनन तंत्र (Female Reproductive System) की समस्याएँ

स्टेज 1: Puberty से Teen Years तक (उम्र 10–19 साल)

यही वो समय होता है जब शरीर में बदलाव शुरू होते हैं। लड़कियों को पहली बार पीरियड्स आते हैं, यानी प्रजनन तंत्र (Reproductive System) काम के लिए तैयार हो रहा होता है। लेकिन इसी समय कुछ दिक्कतें भी शुरू हो सकती हैं।

  • Vaginal yeast infections (यीस्ट संक्रमण) और Urinary bladder (मूत्राशय) की समस्याएं आम हैं। इनमें खुजली, जलन या बदबू हो सकती है। Vaginal opening (योनि के मुहाने) की सफाई ना रखने से या वहाँ जलन होने पर संक्रमण हो सकता है।
  • इस उम्र की लड़कियों को अनियमित पीरियड्स हो सकते हैं—कभी बहुत ज़्यादा ब्लीडिंग, तो कभी टाइम पर न आना।
  • कुछ लड़कियों को Polycystic Ovary Syndrome (PCOS) के शुरुआती लक्षण दिखते हैं, जिससे Hormones (हार्मोन) पर असर पड़ता है। इससे पीरियड्स बंद हो सकते हैं, Acne (मुंहासे) और अनचाहे बाल भी हो सकते हैं।
  • अगर कोई लड़की जल्दी sexually active हो जाती है, तो उसे Sexually transmitted infections (STIs) का खतरा हो सकता है, जैसे Human Papillomavirus (HPV)।

स्टेज 2: Early Adulthood (उम्र 20–29 साल)

20s में ध्यान Pregnancy (प्रेगनेंसी) पर जाता है, लेकिन कुछ विकार इसमें रुकावट डाल सकते हैं।

  • Infertility (बांझपन) की वजह हो सकती है:
    • Uterine fibroids (गर्भाशय में गांठें)
    • Endometriosis (एंडोमेट्रियोसिस)
    • या Blocked fallopian tubes (फैलेपियन ट्यूब्स में रुकावट)
      Uterine fibroids मांसपेशियों और अन्य टिशू (Tissue) से बनी गांठें होती हैं जो गर्भाशय की दीवार में बढ़ती हैं।
  • पीरियड्स के दौरान तेज़ दर्द या दो पीरियड्स के बीच ब्लीडिंग हो तो ये Pelvic Inflammatory Disease (PID) हो सकता है।
  • अगर आपने कभी Unprotected sex (बिना सुरक्षा वाला सेक्स) किया है, तो Sexually transmitted diseases (STDs) की जांच ज़रूर करवाएँ। ये प्रजनन तंत्र को नुकसान पहुँचा सकती हैं और भविष्य में दिक्कतें पैदा कर सकती हैं।
  • कई महिलाओं को HPV infection होता है, लेकिन उन्हें तब तक पता नहीं चलता जब तक Pap smear में इसका पता न चले।

🩺 “The American College of Obstetricians and Gynecologists” सलाह देता है कि पहली Pelvic exam (पेल्विक जांच) 21 साल की उम्र में करानी चाहिए।


स्टेज 3: Reproductive Peak (उम्र 30–39 साल)

इस उम्र में कई महिलाएं Pregnancy प्लान करती हैं, लेकिन कुछ को रुकावटों का सामना करना पड़ता है। प्रजनन तंत्र से जुड़ी समस्याएं आपके प्लान को प्रभावित कर सकती हैं।

इस स्टेज में क्या हो सकता है:

  • Infertility ज़्यादा आम हो जाती है—Uterine fibroids, Endometriosis, या Fallopian tubes में डैमेज इसकी वजह हो सकता है। अगर प्राकृतिक रूप से गर्भधारण नहीं हो पा रहा, तो In vitro fertilization (IVF) जैसे विकल्प देखे जा सकते हैं।
  • बहुत तेज़ दर्द वाले पीरियड्स या लगातार Pelvic pain का मतलब हो सकता है कि आपको Ovarian cysts (अंडाशय की गांठें) या Chronic inflammation (पुरानी सूजन) है। Ovarian cysts तरल से भरी थैलियां होती हैं जो फट सकती हैं या असहजता पैदा कर सकती हैं।
  • कुछ महिलाओं को Vaginal discharge (योनि स्राव) में बदलाव दिखता है, जो Infections या Cervix (गर्भाशय ग्रीवा) की समस्या का संकेत हो सकता है।
  • अगर पीरियड्स बहुत ज़्यादा भारी हों या असहनीय दर्द दें, तो डॉक्टर से मिलना ज़रूरी है। ये किसी गहरे विकार या Tissue overgrowth का संकेत हो सकता है।
  • PCOS से पीड़ित महिलाओं में Diabetes (मधुमेह) और Heart disease (हृदय रोग) का खतरा बढ़ जाता है, इसलिए समय पर पहचान और इलाज ज़रूरी है।

स्टेज 4: Perimenopause (उम्र 40–49 साल)

अब शरीर Menopause (रजोनिवृत्ति) के लिए तैयार हो रहा होता है। यह समय थोड़ा उलझन भरा हो सकता है। Hormone levels गिरते हैं और Abdominal cavity (पेट की गुहा) में हेल्थ से जुड़ी समस्याएं उभरने लगती हैं।

कॉमन समस्याएं इस स्टेज में:

  • अनियमित पीरियड्स आम हैं, लेकिन अचानक ब्लीडिंग या स्पॉटिंग को नजरअंदाज़ न करें।
  • Pelvic pain, Vaginal changes, या Bladder (मूत्राशय) में कमजोरी महसूस हो सकती है।
  • उम्र के साथ Cancer (कैंसर) का खतरा बढ़ता है—खासतौर पर Breast (स्तन), Cervix, और Uterus में।
  • कुछ महिलाओं को Spontaneous abortion (गर्भपात) या प्रेगनेंसी बनाए रखने में परेशानी हो सकती है।
  • अगर HIV infection का इलाज न हो तो ये Immune system (रोग प्रतिरोधक तंत्र) को बहुत नुकसान पहुँचा सकता है और Internal organs (आंतरिक अंगों) पर असर डाल सकता है।
  • Interstitial cystitis (IC) में मूत्राशय या पेल्विक रीजन में बार-बार दर्द या असहजता होती है, जो इस उम्र में चिंता का कारण बन सकती है।

🩺 डॉक्टर इस स्टेज में HPV vaccine और Viral infections की रेगुलर स्क्रीनिंग की सलाह देते हैं।


स्टेज 5: Menopause और उसके बाद (उम्र 50 साल से ऊपर)

Menopause का मतलब है कि आपके पीरियड्स अब बंद हो चुके हैं। लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि शरीर को देखभाल की ज़रूरत नहीं रही। 50 साल से ऊपर की कई महिलाओं को प्रजनन तंत्र से जुड़ी समस्याएं होती हैं जो रोज़मर्रा की ज़िंदगी को प्रभावित कर सकती हैं।

इस उम्र में ध्यान देने वाली बातें:

  • Uterus और Bladder से जुड़ी समस्याओं की वजह से पेट के नीचे दबाव या पेशाब लीक होना हो सकता है।
  • Vagina में सूखापन या जलन हो सकती है—ये आम है, लेकिन इलाज संभव है।
  • कुछ महिलाओं को Pelvic pain होता है या Rectum या पेट के पास दबाव महसूस होता है।
  • Cervix, Ovaries, और Endometrial tissue में कैंसर का खतरा इस उम्र में बढ़ जाता है।
  • टिशू की मजबूती में कमी आ सकती है या ऐसे Infections हो सकते हैं जिन्हें इलाज की ज़रूरत होती है।
  • Interstitial cystitis (IC) एक लॉन्ग-टर्म मूत्राशय संबंधी समस्या है जिसमें बार-बार दर्द या असहजता होती है, और ये लाइफ क्वालिटी पर काफी असर डाल सकती है।

महिला प्रजनन तंत्र (Female Reproductive System) की बीमारियों के पीछे मुख्य जोखिम कारक

Major Risk Factors Behind Female Reproductive System Diseases
महिला प्रजनन तंत्र (Female Reproductive System) की बीमारियों के पीछे मुख्य जोखिम कारक
  • Lifestyle और Diet Habits: आप क्या खाते हैं और आपकी लाइफस्टाइल कैसी है—ये आपकी सेहत पर, खासकर महिला प्रजनन तंत्र (Female Reproductive System) पर बड़ा असर डालते हैं।
    अगर डाइट खराब हो, Smoking (धूम्रपान) करते हों या बिल्कुल एक्सरसाइज़ नहीं करते हों, तो इससे Hormonal issues (हार्मोन से जुड़ी समस्याएं), Pain (दर्द) और यहां तक कि Infertility (बांझपन) भी हो सकती है। ज़्यादा Junk food खाने से Uterus (गर्भाशय) और Vagina (योनि) जैसे टिशू (Tissue) में Inflammation (सूजन) बढ़ सकती है।
  • Age और Hormonal Shifts: जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है, वैसे-वैसे शरीर में Hormones बदलते हैं। इससे Irregular periods (अनियमित पीरियड्स), Menopause (रजोनिवृत्ति) या Pelvic pain (पेल्विक दर्द) जैसी समस्याएं हो सकती हैं। कुछ महिलाओं को Bloating (पेट फूला हुआ लगना) या बार-बार Bleeding (ब्लीडिंग) जैसे अजीब लक्षण दिखते हैं। ये महिला प्रजनन तंत्र की बीमारियों के संकेत हो सकते हैं, जिनमें Cancer (कैंसर) भी शामिल है।
  • Family History और Genetics: अगर आपकी Mom (माँ) या Sister (बहन) को Breast cancer (स्तन कैंसर) या Ovarian cancer (अंडाशय का कैंसर) हुआ है, तो आपके लिए भी खतरा ज़्यादा हो सकता है। Reproductive organs (प्रजनन अंगों) में होने वाले Genetic changes (आनुवंशिक बदलाव) समय के साथ बीमारियों की वजह बन सकते हैं। इसलिए अपने Doctor (डॉक्टर) को हमेशा अपनी Family history (पारिवारिक इतिहास) के बारे में ज़रूर बताएं। इससे बीमारियों को जल्दी पकड़ना आसान होता है।
  • Exposure to STIs: Sexually transmitted infections (STIs) जैसे HIV, HPV और Bacterial infections (बैक्टीरियल संक्रमण) धीरे-धीरे Cervix (गर्भाशय ग्रीवा), Tissue (ऊतक) को नुकसान पहुँचा सकते हैं। ये आगे चलकर Infertility या Cervical cancer (गर्भाशय ग्रीवा का कैंसर) जैसी समस्याएं पैदा कर सकते हैं। Protection (सुरक्षा) का इस्तेमाल करें और रेगुलर Tests (जांचें) करवाएं। हानिकारक बैक्टीरिया Vaginal infections (योनि संक्रमण), PID (Pelvic Inflammatory Disease) या Urinary tract issues (मूत्र मार्ग की समस्याएं) का कारण बन सकते हैं।

हर उम्र के हिसाब से इलाज के विकल्प (Treatment Options Across Age Groups)

Treatment Options Across Age Groups
हर उम्र के हिसाब से इलाज के विकल्प (Treatment Options Across Age Groups)

1. Teen Years (उम्र 10–19): हार्मोन बैलेंस और शुरुआती देखभाल

  • Birth control pills (गर्भनिरोधक गोलियां) से Polycystic Ovary Syndrome (PCOS) को कंट्रोल करने और पीरियड्स नियमित रखने में मदद मिल सकती है।
  • Antifungal treatments (फंगल संक्रमण के इलाज) का इस्तेमाल Vaginal yeast infections (योनि में यीस्ट संक्रमण) के लिए किया जाता है।
  • Safe sex (सुरक्षित यौन संबंधों) की जानकारी देना ज़रूरी होता है ताकि Sexually transmitted infections (STIs) की शुरुआत में ही रोकथाम हो सके।

2. Early Adulthood (उम्र 20–29): प्रजनन की प्लानिंग और STI केयर

  • अगर PCOS या Endometriosis (एंडोमेट्रियोसिस) की वजह से गर्भधारण में दिक्कत हो रही हो, तो Fertility-focused treatments (प्रजनन-केंद्रित इलाज) शुरू किए जा सकते हैं।
  • Antibiotics (एंटीबायोटिक्स) से संक्रमण का इलाज होता है। रेगुलर STI screenings (जांचें) बहुत ज़रूरी हैं। कुछ STIs एक डोज़ एंटीबायोटिक से ठीक हो सकते हैं अगर समय रहते पकड़े जाएं।
  • Weight loss (वज़न कम करना) और Balanced diet (संतुलित आहार) जैसी Lifestyle changes (जीवनशैली में बदलाव) से हार्मोनल सेहत बेहतर होती है।

3. Reproductive Peak (उम्र 30–39): फाइब्रॉइड और प्रजनन का मैनेजमेंट

  • Uterine fibroids (गर्भाशय में गांठें) के लिए दवाओं या छोटी सर्जरी जैसे Myomectomy (मायोमेक्टॉमी) की ज़रूरत हो सकती है।
  • Laparoscopy (लेप्रोस्कोपी) से गहराई से जुड़ी महिला प्रजनन तंत्र की बीमारियों का पता लगाना और इलाज करना संभव होता है।
  • अगर प्राकृतिक रूप से गर्भधारण न हो रहा हो, तो IUI (Intrauterine Insemination) या IVF (In vitro fertilization) जैसे Fertility treatments (प्रजनन उपचार) का विकल्प देखा जा सकता है।

4. Perimenopause (उम्र 40–49): हार्मोन और लक्षणों को कंट्रोल करना

  • Hormone Replacement Therapy (HRT) से Hot flashes (गर्माहट की लहर) कम हो सकती हैं और पीरियड्स रेगुलर किए जा सकते हैं।
  • इस स्टेज में भी STI testing और Breast health screenings (स्तन जांच) ज़रूरी हैं।
  • Fibroid symptoms (फाइब्रॉइड से जुड़े लक्षण) को दवाओं या Minimally invasive surgery (कम घातक सर्जरी) से कंट्रोल किया जा सकता है।

5. Menopause और उसके बाद (उम्र 50+): रोकथाम और सहायक देखभाल

  • Vaginal estrogen creams (एस्ट्रोजन क्रीम्स) से Dryness (सूखापन) का इलाज किया जा सकता है और योनि की सेहत बनी रहती है।
  • रेगुलर Pelvic exams (पेल्विक जांच) से इस उम्र में होने वाली प्रजनन तंत्र की बीमारियों को जल्दी पकड़ा जा सकता है।
  • Cancer screenings (कैंसर जांचें), जैसे Breast cancer (स्तन कैंसर) के लिए, अब भी उतनी ही ज़रूरी हैं।

डॉ. अंशु अग्रवाल की विशेषज्ञ सलाह: महिलाओं की सेहत पर भरोसेमंद मार्गदर्शन

Dr. Anshu Agrawal’s Expert Advice on Women’s Health
डॉ. अंशु अग्रवाल की विशेषज्ञ सलाह: महिलाओं की सेहत पर भरोसेमंद मार्गदर्शन

Dr. Anshu Agrawal एक अनुभवी Obstetrician & Gynecologist (प्रसूति एवं स्त्रीरोग विशेषज्ञ) हैं, जिनके पास महिला प्रजनन तंत्र (Female Reproductive System) से जुड़ी बीमारियों के इलाज का 18+ वर्षों का अनुभव है।

चाहे बात Teen menstrual issues (किशोरावस्था की माहवारी संबंधी समस्याओं) की हो या फिर जटिल स्थितियों जैसे PCOS (Polycystic Ovary Syndrome), Uterine fibroids (गर्भाशय में गांठें) और Endometriosis (एंडोमेट्रियोसिस) की—डॉ. अग्रवाल हर उम्र की महिलाओं को व्यक्तिगत और Evidence-based care (प्रमाण-आधारित देखभाल) देती हैं।

वो Clinical expertise (नैदानिक अनुभव) और Advanced diagnostics (एडवांस जांच सुविधाओं) का इस्तेमाल करती हैं ताकि इलाज समय पर शुरू हो सके और लंबी अवधि की जटिलताओं से बचा जा सके।
अगर आप Hormonal imbalances (हार्मोनल असंतुलन), Fertility concerns (गर्भधारण से जुड़ी चिंताएं) या Menopausal changes (मेनोपॉज़ के बदलाव) से जूझ रही हैं, तो डॉ. अग्रवाल आपको सहानुभूति और समझ के साथ समाधान देती हैं।

डॉ. अंशु कैसे मदद कर सकती हैं:

  • PCOS, Fibroids, और Reproductive tract infections (प्रजनन मार्ग के संक्रमण) के इलाज में माहिर
  • Laparoscopy (लेप्रोस्कोपी) और Hysteroscopy (हिस्टेरोस्कोपी) जैसी Minimally invasive surgeries (कम घातक सर्जरी) उपलब्ध
  • Fertility planning और प्रजनन से जुड़ी बीमारियों का इलाज
  • Preventive screenings (रोकथाम संबंधी जांचों) और महिलाओं की संपूर्ण सेहत पर संपूर्ण मार्गदर्शन

📍 Website:www.dranshuagarwalgynecologist.com

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आगे की सेहत के लिए ज़रूरी नियमित हेल्थ स्क्रीनिंग्स (Regular Health Care Screenings to Stay Ahead)

Regular Health Care Screenings to Stay Ahead
आगे की सेहत के लिए ज़रूरी नियमित हेल्थ स्क्रीनिंग्स (Regular Health Care Screenings to Stay Ahead)

1. Breast Cancer Checks (स्तन कैंसर की जांच)

  • Breast cancer (स्तन कैंसर) महिलाओं में सबसे आम कैंसर में से एक है। 25 साल की उम्र से Pelvic exam (पेल्विक जांच) और Clinical breast exam (क्लिनिकल स्तन जांच) हर 1–3 साल में कराने की सलाह दी जाती है। 40 के बाद हर साल Mammogram (मैमोग्राम) ज़रूरी हो जाता है।
  • Indian Council of Medical Research (ICMR) के अनुसार, भारत में हर साल 1.5 लाख से ज़्यादा Breast cancer के नए केस सामने आते हैं। इंतज़ार मत करें—Early screening (शुरुआती जांच) जान बचा सकती है।

2. Pap Smears और HPV Testing

  • Human papillomavirus (HPV) एक ऐसा वायरस है जो Cervix (गर्भाशय ग्रीवा) को प्रभावित कर सकता है। ये यौन संबंध के ज़रिए फैलता है और समय पर न रोका जाए तो Cancer (कैंसर) का कारण बन सकता है।
  • Pap smear (पैप स्मीयर) एक आसान टेस्ट है जो Cervical cancer (गर्भाशय ग्रीवा का कैंसर) के शुरुआती लक्षण पकड़ सकता है। 21 साल की उम्र से ये टेस्ट कराना शुरू कर देना चाहिए—अगर आप sexually active हैं, तो इससे पहले भी करवा सकती हैं। HPV vaccine (एचपीवी वैक्सीन) के बारे में अपने डॉक्टर से ज़रूर पूछें।

3. PCOS और Fibroid Monitoring

  • Polycystic Ovary Syndrome (PCOS) और Uterine fibroids (गर्भाशय की गांठें) की वजह से पीरियड मिस हो सकते हैं, दर्द हो सकता है या Infertility (बांझपन) भी हो सकती है।
    अक्सर ये समस्याएं धीरे-धीरे शुरू होती हैं, बिना किसी बड़े लक्षण के।
  • एक Ultrasound (अल्ट्रासाउंड) और Hormone blood test (हार्मोन ब्लड टेस्ट) से इन्हें जल्दी पकड़ा जा सकता है। AIIMS के अनुसार, भारत में हर 5 में से 1 महिला PCOS से प्रभावित होती है। अगर आपको लगातार Pelvic pain (पेल्विक दर्द) हो या पीरियड्स में कोई बदलाव दिखे—तो चुप मत रहें, डॉक्टर से बात करें।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQs)

FAQs
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQs)

1. क्या Polycystic Ovary Syndrome (PCOS) से Infertility हो सकती है?

  • हाँ, हो सकती है। PCOS आपके Ovaries (अंडाशय) के काम करने के तरीके को प्रभावित करता है। इससे Ovulation (अंडोत्सर्जन) नियमित रूप से नहीं होता, जिससे Pregnancy (गर्भधारण) में दिक्कत हो सकती है।
  • लेकिन अच्छी खबर ये है कि सही इलाज से ज़्यादातर महिलाएं PCOS के बावजूद गर्भधारण कर लेती हैं। Healthy diet (संतुलित आहार), Exercise (व्यायाम) और Hormone medicine (हार्मोन दवाएं) मददगार होती हैं।

2. Sexually Transmitted Infections (STIs) महिला प्रजनन तंत्र को कैसे प्रभावित करती हैं?

  • Sexually transmitted infections (STIs) जैसे Chlamydia (क्लेमाइडिया) या Gonorrhea (गोनोरिया) अगर बिना इलाज के रह जाएं तो ये Reproductive organs (प्रजनन अंगों) को नुकसान पहुँचा सकती हैं।
  • इनसे Pelvic Inflammatory Disease (PID) हो सकता है, जिससे Fallopian tubes (फैलोपियन ट्यूब्स) को नुकसान पहुँच सकता है। इससे लंबे समय तक Pelvic pain (पेल्विक दर्द) या Infertility (बांझपन) हो सकती है। अगर आप sexually active हैं, तो Regular STI tests करवाना बहुत ज़रूरी है।

3. मुझे Cervical Cancer या HPV की जांच कब करानी चाहिए?

  • Pap smear की जांच 21 साल की उम्र से शुरू होनी चाहिए। ये Cervix (गर्भाशय ग्रीवा) में उन बदलावों को पकड़ता है जो आगे चलकर Cancer (कैंसर) बन सकते हैं।
  • अगर आप 25 साल या उससे ऊपर हैं, तो आपको Human papillomavirus (HPV) की जांच भी कराई जा सकती है—ये वही वायरस है जो ज़्यादातर Cervical cancers का कारण होता है। HPV testing और Pap smears तेज़, सुरक्षित और जीवनरक्षक होती हैं।

4. क्या Uterine Fibroids शरीर के लिए खतरनाक होते हैं?

  • ज़्यादातर Uterine fibroids (गर्भाशय की गांठें) खतरनाक नहीं होतीं, लेकिन ये Heavy bleeding (ज्यादा ब्लीडिंग), Pelvic pain (पेल्विक दर्द) या Bladder और Rectum पर दबाव डाल सकती हैं।अगर ये बहुत ज़्यादा बढ़ जाएं, तो Fertility पर असर डाल सकती हैं।
  • Indian Journal of Medical Research के अनुसार, 30 साल की उम्र तक लगभग 25% महिलाएं Fibroids से ग्रस्त हो जाती हैं।

5. क्या Breast Cancer और Reproductive Health के बीच कोई संबंध है?

  • हाँ।Hormonal imbalances (हार्मोनल असंतुलन)—जैसे Endometrial tissue disorders या PCOS में देखा जाता है—Breast cancer (स्तन कैंसर) का खतरा बढ़ा सकते हैं।
  • जल्दी Periods, देर से Menopause, या Hormone therapy भी इसमें भूमिका निभा सकते हैं। इसीलिए Routine pelvic exams और Breast screenings बेहद ज़रूरी हैं।

महिला प्रजनन तंत्र (Female Reproductive System) से जुड़ी बीमारियाँ किसी भी उम्र में हो सकती हैं। अगर आप लक्षणों को समय पर पहचान लें और नियमित रूप से Checkups (जांच) करवाते रहें, तो अपनी सेहत की रक्षा कर सकती हैं। जानकारी रखें, समय रहते कदम उठाएँ, और जब भी कुछ अजीब लगे—अपने डॉक्टर से ज़रूर बात करें।