अगर आपने पहले एक बार बच्चा कंसीव (Conceive) किया है लेकिन अब दोबारा प्रेग्नेंट (Pregnant) होना मुश्किल लग रहा है, तो हो सकता है आप सेकेंडरी इनफर्टिलिटी (Secondary Infertility) का सामना कर रही हों। ये उतना दुर्लभ नहीं है जितना लोग समझते हैं — क्लीवलैंड क्लिनिक (Cleveland Clinic) के मुताबिक, सेकेंडरी इनफर्टिलिटी (Secondary Infertility) करीब 50% इनफर्टिलिटी (Infertility) के मामलों के लिए ज़िम्मेदार है।
दूसरी बार फर्टिलिटी (Fertility) को कई कारण प्रभावित कर सकते हैं, जैसे ब्लॉक्ड फैलोपियन ट्यूब्स (Blocked Fallopian Tubes), मेल इनफर्टिलिटी (Male Infertility) से जुड़ी दिक्कतें जैसे लो स्पर्म काउंट (Low Sperm Count), या फीमेल इनफर्टिलिटी (Female Infertility) से जुड़े रिस्क फैक्टर्स (Risk Factors) में बदलाव।
सेकेंडरी इनफर्टिलिटी (Secondary Infertility) के असली कारणों को समझना सही फर्टिलिटी ट्रीटमेंट (Fertility Treatment) चुनने और ज़रूरी सपोर्ट पाने में बड़ा फ़र्क डाल सकता है। चलिए जानते हैं कि ये क्यों होता है और 5 ऐसे असरदार तरीके क्या हैं जिनसे आप दोबारा सक्सेसफुल प्रेग्नेंसी (Successful Pregnancy) की तरफ कदम बढ़ा सकती हैं।
सेकेंडरी इनफर्टिलिटी (Secondary Infertility) क्या है?

सेकेंडरी इनफर्टिलिटी (Secondary Infertility) का मतलब है कि पहले नैचुरली डिलीवरी के बाद अब प्रेग्नेंट (Pregnant) होने या प्रेग्नेंसी (Pregnancy) को फुल टर्म तक ले जाने में दिक्कत होना। ये पेल्विक इंफ्लेमेटरी डिज़ीज़ (Pelvic Inflammatory Disease), स्कार टिशू (Scar Tissue), या रिप्रोडक्टिव हार्मोन (Reproductive Hormones) में हार्मोनल इम्बैलेंस (Hormonal Imbalance) के कारण हो सकता है। मेयो क्लिनिक (Mayo Clinic) के एक्सपर्ट्स के मुताबिक, इनफर्टिलिटी (Infertility) दुनियाभर में लगभग 10–15% कपल्स को प्रभावित करती है।
कई बार, मेडिकल हिस्ट्री जैसे पेल्विक इंफेक्शन्स (Pelvic Infections), स्ट्रक्चरल प्रॉब्लम्स (Structural Problems), या अनट्रीटेड सेक्सुअली ट्रांसमिटेड इंफेक्शन्स (Sexually Transmitted Infections) भी परेशानी का कारण बन सकते हैं। लो स्पर्म प्रोडक्शन (Low Sperm Production), खराब सीमेन क्वालिटी (Poor Semen Quality), या इमोशनल स्ट्रेस (Emotional Stress) भी शांति से कंसीव (Conceive) करने की संभावना को कम कर सकते हैं।
ब्लड टेस्ट्स (Blood Tests) और सीमेन एनालिसिस (Semen Analysis) इनफर्टिलिटी (Infertility) की जल्दी पहचान में मदद करते हैं और बेहतर फर्टिलिटी प्रोसीजर्स (Fertility Procedures) की दिशा दिखाते हैं।
सेकेंडरी इनफर्टिलिटी (Secondary Infertility) सिर्फ एज (Age) पर नहीं बल्कि कई फैक्टर्स पर निर्भर करती है। यहां तक कि एनवायरनमेंटल टॉक्सिन्स (Environmental Toxins) या रेगुलर अनप्रोटेक्टेड सेक्स (Unprotected Sex) के बावजूद प्रेग्नेंसी ना होना भी किसी गंभीर कारण की ओर इशारा हो सकता है।
जैसा कि क्लीवलैंड क्लिनिक (Cleveland Clinic) बताता है, इनफर्टिलिटी (Infertility) अक्सर एक से ज्यादा कारणों की वजह से होती है—और ये हमेशा कोई सीधा-सादा कारण नहीं होता।
सेकेंडरी इनफर्टिलिटी (Secondary Infertility) के कारण क्या हैं?

सेकेंडरी इनफर्टिलिटी (Secondary Infertility) अक्सर उस वक्त सामने आती है जब आप इसकी उम्मीद नहीं करते। ये निराशाजनक हो सकता है, लेकिन इसके कारणों को समझना सही कदम उठाने में मदद करता है। आइए इसे आसान भाषा में समझते हैं।
1. उम्र से जुड़ी फर्टिलिटी (Fertility) में गिरावट
- जैसे-जैसे महिलाओं की उम्र बढ़ती है, अंडाणुओं की क्वालिटी में तेज गिरावट आती है — खासकर 35 की उम्र के बाद।
- अमेरिकन कॉलेज ऑफ ऑब्स्टेट्रिशियन्स एंड गायनेकोलॉजिस्ट्स (American College of Obstetricians and Gynecologists) के मुताबिक, 32 से 37 की उम्र के बीच अंडाणुओं की संख्या लगभग 50% तक कम हो जाती है।
- हार्मोन लेवल (Hormone Levels) और ओवरी की कार्यक्षमता (Ovarian Dysfunction) भी नैचुरली कंसीव (Conceive) करने की संभावना को प्रभावित कर सकते हैं।
2. ब्लॉक्ड फैलोपियन ट्यूब्स (Blocked Fallopian Tubes)
- पेल्विक इंफेक्शन्स (Pelvic Infections) या ट्यूबल लिगेशन सर्जरी (Tubal Ligation Surgery) के कारण स्कार टिशू (Scar Tissue) बन सकते हैं, जिससे फैलोपियन ट्यूब्स ब्लॉक हो जाती हैं।
- सेक्सुअली ट्रांसमिटेड इंफेक्शन्स (STIs) एक छुपा हुआ कारण हैं जिसकी वजह से कई महिलाओं को सेकेंडरी इनफर्टिलिटी (Secondary Infertility) होती है।
- यूटेरिन फायब्रॉइड्स (Uterine Fibroids) और यूटेरिन लाइनिंग (Uterine Lining) की समस्याएं भी फर्टिलाइज्ड एग (Fertilized Egg) को इम्प्लांट (Implant) होने से रोक सकती हैं।
3. ओव्यूलेशन डिसऑर्डर्स (Ovulation Disorders)
- हार्मोनल डिसऑर्डर्स (Hormonal Disorders) और रिप्रोडक्टिव एंडोक्रिनोलॉजी (Reproductive Endocrinology) की समस्याएं ओव्यूलेशन (Ovulation) को पूरी तरह रोक सकती हैं।
- फर्टिलिटी ड्रग्स (Fertility Drugs) जैसे क्लोमिड (Clomid) अक्सर ओव्यूलेशन को सेफली ट्रिगर करने के लिए दी जाती हैं।
- ओवरी में मौजूद स्ट्रक्चरल प्रॉब्लम्स (Structural Problems) को ठीक करने से कभी-कभी स्थिति सुधर सकती है।
4. यूटेरिन या एंडोमेट्रियल समस्याएं (Uterine or Endometrial Issues)
- कमजोर यूटेरिन लाइनिंग (Uterine Lining) इम्प्लांटेशन (Implantation) के रेट्स को घटा सकती है।
- एंडोमेट्रिओसिस (Endometriosis) स्कार टिशू (Scar Tissue) बनाकर हेल्दी एग्स (Healthy Eggs) को फंसाकर रख सकती है।
- मेडिकल ट्रीटमेंट से एंडोमेट्रिओसिस (Endometriosis) का जल्दी इलाज करने से सफलता की संभावना बढ़ती है।
5. मेल फैक्टर्स (Male Factors) जैसे बढ़ी हुई प्रोस्टेट (Enlarged Prostate)
- लो स्पर्म प्रोडक्शन (Low Sperm Production) या खराब स्पर्म क्वालिटी (Poor Sperm Quality) मेल फर्टिलिटी (Male Fertility) को प्रभावित कर सकते हैं।
- बढ़ी हुई प्रोस्टेट (Enlarged Prostate) या टेस्टिकुलर वैरिकोसील (Testicular Varicocele) स्पर्म काउंट (Sperm Count) और स्पर्म की डिलीवरी पर असर डालते हैं।
- ब्लड टेस्ट्स (Blood Tests) और सीमेन एनालिसिस (Semen Analysis) से इनफर्टिलिटी (Infertility) की सही डायग्नोसिस की जा सकती है।
6. लाइफस्टाइल फैक्टर्स और ज़्यादा वज़न बढ़ना (Lifestyle Factors and Excessive Weight Gain)
- ज़्यादा अल्कोहल, मोटापा (Obesity), और एनवायरनमेंटल टॉक्सिन्स (Environmental Toxins) हार्मोन बैलेंस को बिगाड़ सकते हैं।
- अगर वज़न को कंट्रोल नहीं किया जाए तो फर्टिलिटी प्रोसीजर्स (Fertility Procedures) भी कम असर दिखा सकते हैं।
- हेल्दी प्रेग्नेंसी (Healthy Pregnancy) की संभावना वज़न कंट्रोल करने से काफी बेहतर होती है।
7. मेडिकल कंडीशन्स (Medical Conditions) जैसे डायबिटीज़ (Diabetes) या थायरॉइड प्रॉब्लम्स (Thyroid Problems)
- डायबिटीज़ (Diabetes) या थायरॉइड (Thyroid) की हिस्ट्री से जुड़ी दिक्कतें चुपचाप फर्टिलिटी को प्रभावित कर सकती हैं।
- रेगुलर फर्टिलिटी स्पेशलिस्ट चेकअप (Fertility Specialist Checkups) से इन्हें जल्दी पकड़ा जा सकता है।
- बहुत से कपल्स में इनफर्टिलिटी (Infertility) एक नहीं बल्कि कई कारणों की वजह से होती है।
8. स्ट्रेस और इमोशनल हेल्थ (Stress and Emotional Health)
- इमोशनल स्ट्रेस (Emotional Stress) रिप्रोडक्टिव हार्मोन (Reproductive Hormones) को प्रभावित करता है।
- इनफर्टिलिटी (Infertility) पर मानसिक स्वास्थ्य (Mental Health) का भी गहरा असर होता है।
- शांत रहना और सपोर्टेड महसूस करना अक्सर ज़्यादा फ़र्क डालता है जितना लोग सोचते हैं।
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फैलोपियन ट्यूब्स (Fallopian Tubes) फर्टिलिटी (Fertility) को कैसे प्रभावित करती हैं?
आपकी फैलोपियन ट्यूब्स (Fallopian Tubes) वही जगह हैं जहां सबसे पहले कंसीव (Conceive) की प्रक्रिया शुरू होती है — यहीं स्पर्म (Sperm) और एग (Egg) आपस में मिलते हैं। अगर ये ट्यूब्स ब्लॉक या डैमेज हो जाएं, तो नैचुरल फर्टिलाइजेशन (Fertilization) लगभग नामुमकिन हो जाता है। CDC के मुताबिक, फैलोपियन ट्यूब्स से जुड़ी समस्याएं लगभग 25% से 35% फीमेल इनफर्टिलिटी (Female Infertility) के मामलों में देखने को मिलती हैं।
ब्लॉक्ड फैलोपियन ट्यूब्स (Blocked Fallopian Tubes):
- स्कार टिशू (Scar Tissue) या सेक्सुअली ट्रांसमिटेड इंफेक्शन्स (Sexually Transmitted Infections) जैसी इंफेक्शन्स ब्लॉकेज का कारण बन सकती हैं।
- कई बार, प्राइमरी इनफर्टिलिटी (Primary Infertility) की शुरुआत भी बिना पता चले ट्यूबल डैमेज (Tubal Damage) से होती है।
स्ट्रक्चरल प्रॉब्लम्स और रिपेयर ऑप्शन्स (Structural Problems and Repair Options):
- सर्जरी से कभी-कभी ट्यूब्स की बनावट से जुड़ी दिक्कतों को ठीक किया जा सकता है ताकि स्पर्म (Sperm) एग (Egg) तक पहुंच सके।
- अगर ये मुमकिन न हो, तो इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (In Vitro Fertilization) जैसे रिप्रोडक्टिव मेडिसिन (Reproductive Medicine) के विकल्प काफी असरदार साबित होते हैं।
अन्य फैक्टर्स (Other Factors):
- बढ़ी हुई प्रोस्टेट (Prostate Enlargement) स्पर्म काउंट (Sperm Count) को कम कर सकती है और स्पर्म की मूवमेंट को प्रभावित करती है।
- जिन कपल्स में फीमेल पार्टनर के एग्स (Eggs) हेल्दी हैं लेकिन ट्यूब्स ब्लॉक हैं, उनके लिए IVF में शरीर के बाहर एग्स को फर्टिलाइज़ करना कारगर होता है।
अगर आप नैचुरली कंसीव (Conceive) करने की कोशिश कर रहे हैं लेकिन दिक्कत आ रही है, तो ज़्यादा इंतज़ार न करें। जल्दी टेस्टिंग से ये पता चल सकता है कि फैलोपियन ट्यूब्स (Fallopian Tubes) में कोई दिक्कत है या कोई और छुपा हुआ कारण है जैसे रिपेयर की ज़रूरत वाला टेस्टिकुलर वैरिकोसील (Testicular Varicocele) या कमजोर स्पर्म फ्लो (Poor Sperm Flow)।
सेकेंडरी इनफर्टिलिटी (Secondary Infertility) के लिए कौन-कौन से फर्टिलिटी ट्रीटमेंट ऑप्शन्स(Fertility Treatment Options) मदद करते हैं?

सेकेंडरी इनफर्टिलिटी (Secondary Infertility) के बाद सही रास्ता ढूंढना थोड़ा भारी लग सकता है, लेकिन अच्छी बात ये है — आपके पास असरदार और रियल ऑप्शन्स मौजूद हैं। चलिए इन्हें आसान स्टेप्स में समझते हैं।
1. ओव्यूलेशन को स्टिम्युलेट करने के लिए फर्टिलिटी मेडिकेशन्स (Fertility Medications to Stimulate Ovulation)
- क्लोमिड (Clomid) या लेट्रोज़ोल (Letrozole) जैसी फर्टिलिटी ड्रग्स (Fertility Drugs) हार्मोन लेवल (Hormone Levels) को रेगुलेट करती हैं और ओव्यूलेशन (Ovulation) को ट्रिगर करती हैं।
- मेयो क्लिनिक (Mayo Clinic) के अनुसार, क्लोमिड (Clomid) लेने वाली लगभग 80% महिलाएं तीन साइकल के अंदर ओव्युलेट करती हैं।
- अगर स्पर्म क्वालिटी (Sperm Quality) भी एक चिंता का कारण है, तो दोनों पार्टनर्स को टारगेटेड ट्रीटमेंट की ज़रूरत हो सकती है।
2. फैलोपियन ट्यूब्स की ब्लॉकेज को हटाने के लिए सर्जरी (Surgery to Unblock Fallopian Tubes)
- ट्यूबल सर्जरी (Tubal Surgery) स्कार टिशू (Scar Tissue) हटाने या ब्लॉकेज को ठीक करने में मदद करती है।
- कई मामलों में, सेकेंडरी इनफर्टिलिटी (Secondary Infertility) के इलाज में लैपरोस्कोपी (Laparoscopy) का उपयोग होता है ताकि इंफेक्शन से हुए डैमेज को क्लियर किया जा सके।
- यह सर्जरी स्पर्म (Sperm) और एग (Egg) के मिलने का नैचुरल रास्ता फिर से बहाल कर सकती है।
3. असिस्टेड रिप्रोडक्टिव टेक्नोलॉजीज़ (Assisted Reproductive Technologies - ART)
- IVF और ICSI जैसे विकल्प कई कपल्स के लिए काफी असरदार होते हैं।
- IVF के दौरान, डॉक्टर महिला से एग्स (Eggs) निकालकर उन्हें शरीर के बाहर फर्टिलाइज़ करते हैं।
- जब ट्यूब्स में ब्लॉकेज या स्पर्म की समस्याएं नैचुरल कंसीव (Conceive) में रुकावट बनती हैं, तब ART एक बेहतरीन विकल्प होता है।
4. इन्ट्रायूटेरिन इनसेमिनेशन (Intrauterine Insemination - IUI)
- IUI प्रक्रिया में तैयार किए गए स्पर्म को ओव्यूलेशन (Ovulation) के दौरान सीधे यूटेरस में डाला जाता है।
- यह एक सिंपल प्रोसीजर है जो स्पर्म की जर्नी को छोटा करता है।
- हल्के मेल इनफर्टिलिटी (Male Infertility) या सर्वाइकल इश्यूज़ (Cervical Issues) में यह आदर्श होता है।
5. इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (In Vitro Fertilization - IVF)
- IVF ब्लॉक्ड ट्यूब्स (Blocked Tubes) या लो स्पर्म काउंट (Low Sperm Count) जैसी समस्याओं को बायपास करता है।
- सक्सेस रेट्स (Success Rates) अलग-अलग हो सकते हैं, लेकिन टेक्नोलॉजी के साथ ये लगातार बेहतर हो रहे हैं।
- डॉक्टर ज़रूरत होने पर जेनेटिक टेस्टिंग (Genetic Testing) की सलाह भी दे सकते हैं।
6. रिप्रोडक्टिव हेल्थ के लिए हार्मोन थैरेपी (Hormone Therapy for Reproductive Health)
- हार्मोन थैरेपी (Hormone Therapy) उन इम्बैलेंस को सही करती है जो प्रेग्नेंसी (Pregnancy) को रोकते हैं।
- थायरॉइड प्रॉब्लम्स (Thyroid Problems), PCOS, और लो प्रोजेस्टरोन (Low Progesterone) जैसी स्थितियां आमतौर पर इस ट्रीटमेंट से बेहतर होती हैं।
- हार्मोन लेवल्स की मॉनिटरिंग ट्रीटमेंट को पर्सनलाइज़ करने में जरूरी होती है।
7. मेल इनफर्टिलिटी (Male Infertility) के लिए स्पेशल ट्रीटमेंट्स
- मेल फर्टिलिटी की चुनौतियां जैसे टेस्टिकुलर वैरिकोसील (Testicular Varicocele) या कमजोर स्पर्म प्रोडक्शन (Poor Sperm Production) का इलाज संभव है।
- सर्जिकल रिपेयर (Surgical Repair) या दवाओं से सीमेन क्वालिटी (Semen Quality) को बेहतर किया जा सकता है।
- सीमेन एनालिसिस (Semen Analysis) से सबसे सही शुरुआती पॉइंट की पहचान होती है।
8. फर्टिलिटी स्पेशलिस्ट से पर्सनल केयर प्लान (Personalized Care Plans from a Fertility Specialist)
- हर कपल की जर्नी अलग होती है — इसलिए वन-साइज़-फिट्स-ऑल अप्रोच काम नहीं करती।
- फर्टिलिटी स्पेशलिस्ट (Fertility Specialist) आपकी स्पेसिफिक कंडीशन को देखकर एक पर्सनलाइज्ड प्लान तैयार करता है।
- इसमें कई ट्रीटमेंट्स को मिलाकर बेस्ट रिज़ल्ट पाने की रणनीति शामिल हो सकती है।
आपको फर्टिलिटी स्पेशलिस्ट (Fertility Specialist) से कब मिलना चाहिए?

अगर आप एक साल से ज़्यादा समय से प्रेग्नेंट (Pregnant) होने की कोशिश कर रहे हैं और सफलता नहीं मिली है, तो अब समय है कि आप फर्टिलिटी स्पेशलिस्ट (Fertility Specialist) से बात करें। 35 साल से ऊपर की महिलाओं के लिए एक्सपर्ट्स सलाह देते हैं कि सिर्फ 6 महीने ट्राय करने के बाद ही मदद लेनी चाहिए। जल्दी इंटरवेंशन सच में बड़ा फर्क ला सकता है।
- अनियमित पीरियड्स (Irregular Periods) या ओव्यूलेशन न होना ऐसे संकेत हैं जिन्हें नज़रअंदाज़ नहीं करना चाहिए।
- पहले हुए पेल्विक इंफेक्शन्स (Pelvic Infections) या ट्यूबल लिगेशन (Tubal Ligation) जैसी सर्जरीज़ भी फर्टिलिटी को प्रभावित कर सकती हैं।
- मेल फैक्टर्स (Male Factors) जैसे लो स्पर्म काउंट (Low Sperm Count) भी जल्दी चेकअप करवाने की एक अहम वजह हो सकते हैं।
एक फर्टिलिटी स्पेशलिस्ट (Fertility Specialist) सही टेस्ट्स के साथ आपकी जर्नी के अनुसार एक प्लान तैयार करता है।
डॉ. अंशु अग्रवाल कैसे फीमेल इनफर्टिलिटी (Female Infertility) का असरदार इलाज करती हैं
डॉ. अंशु अग्रवाल एक अनुभवी गायनेकोलॉजिस्ट और फर्टिलिटी एक्सपर्ट हैं, जिन्हें महिलाओं के हेल्थकेयर में 18 साल से भी ज़्यादा का अनुभव है। वह हाई-रिस्क प्रेग्नेंसीज़ (High-Risk Pregnancies) और इनफर्टिलिटी ट्रीटमेंट्स (Infertility Treatments) जैसी जटिल स्त्री रोग समस्याओं के समाधान में विशेषज्ञ हैं।
डॉ. अग्रवाल ने कई मरीजों को बिना IVF के भी सक्सेसफुल प्रेग्नेंसी (Successful Pregnancy) हासिल करने में मदद की है। फिलहाल वह मेडिफर्स्ट हॉस्पिटल, रांची (Medifirst Hospital, Ranchi) में डायरेक्टर ऑफ ऑब्स्टेट्रिक्स एंड गायनेकोलॉजी (Director of Obstetrics and Gynecology) के रूप में कार्यरत हैं।
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क्लीवलैंड क्लिनिक (Cleveland Clinic) सेकेंडरी इनफर्टिलिटी (Secondary Infertility) के बारे में क्या कहती है?

क्लीवलैंड क्लिनिक (Cleveland Clinic) के अनुसार, सेकेंडरी इनफर्टिलिटी (Secondary Infertility) का मतलब है कि पहले बिना किसी फर्टिलिटी असिस्टेंस (Fertility Assistance) के प्रेग्नेंसी (Pregnancy) हो चुकी हो, लेकिन अब दोबारा कंसीव (Conceive) करना या प्रेग्नेंसी को टर्म तक ले जाना संभव न हो रहा हो।
क्लिनिक का कहना है कि सेकेंडरी इनफर्टिलिटी (Secondary Infertility) उतनी ही आम है जितनी प्राइमरी इनफर्टिलिटी (Primary Infertility) — और यह अमेरिका में लगभग 11% कपल्स को प्रभावित करती है।
इसके सामान्य कारणों में उम्र के साथ एग (Egg) या स्पर्म क्वालिटी (Sperm Quality) में गिरावट, पिछली प्रेग्नेंसी या सर्जरी से जुड़ी जटिलताएं, बढ़ा हुआ वज़न, मेडिकल कंडीशन्स (Medical Conditions), और लाइफस्टाइल फैक्टर्स जैसे स्मोकिंग (Smoking) और अल्कोहल यूज़ (Alcohol Use) शामिल हैं।
क्लीवलैंड क्लिनिक (Cleveland Clinic) यह भी ज़ोर देती है कि दोनों पार्टनर्स का इवैल्यूएशन ज़रूरी है, क्योंकि सेकेंडरी इनफर्टिलिटी (Secondary Infertility) किसी एक या दोनों को प्रभावित कर सकती है।
इलाज में ओव्यूलेशन (Ovulation) ट्रिगर करने के लिए दवाएं, इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (In Vitro Fertilization - IVF), या सर्जरी शामिल हो सकती है — यह निर्भर करता है कि असली कारण क्या है।
अगर आप 35 साल से कम उम्र की हैं और एक साल ट्राय करने के बाद भी कंसीव (Conceive) नहीं कर पा रही हैं, या अगर आपकी उम्र 35 से ज़्यादा है और 6 महीने कोशिश करने के बाद भी सफलता नहीं मिली है — तो मेडिकल सलाह लेना ज़रूरी है।
दूसरी बार प्रेग्नेंट (Pregnant) होने के लिए FAQs –
1. सेकेंडरी इनफर्टिलिटी (Secondary Infertility) के क्या संकेत होते हैं?
अगर आप एक साल (या 35 की उम्र से ऊपर होने पर 6 महीने) से दोबारा कंसीव (Conceive) करने की कोशिश कर रहे हैं और सफलता नहीं मिली है, तो यह एक संकेत हो सकता है। अनियमित पीरियड्स, ओव्यूलेशन की प्रॉब्लम्स (Ovulation Problems), या पिछली प्रेग्नेंसी से जुड़ी जटिलताएं भी सेकेंडरी इनफर्टिलिटी (Secondary Infertility) की तरफ इशारा कर सकती हैं। जल्दी किसी स्पेशलिस्ट से मिलना ज़रूरी है।
2. कितने समय बाद सेकेंडरी इनफर्टिलिटी (Secondary Infertility) मानी जाती है?
डॉक्टर्स सेकेंडरी इनफर्टिलिटी (Secondary Infertility) तब मानते हैं जब आप 12 महीने तक रेगुलर अनप्रोटेक्टेड सेक्स (Unprotected Sex) के बावजूद कंसीव (Conceive) नहीं कर पाते (अगर आप 35 से कम उम्र के हैं)। 35 से ऊपर की महिलाओं के लिए 6 महीने बाद मदद लेना सही माना जाता है। जल्दी कदम उठाने से ज़्यादा ट्रीटमेंट ऑप्शन्स मिल सकते हैं।
3. क्या सेकेंडरी इनफर्टिलिटी (Secondary Infertility) को ठीक किया जा सकता है?
हाँ, सही इलाज से बहुत से लोग सेकेंडरी इनफर्टिलिटी (Secondary Infertility) से बाहर निकल पाते हैं। फर्टिलिटी मेडिकेशन्स (Fertility Medications), सर्जरी, लाइफस्टाइल में बदलाव, या असिस्टेड रिप्रोडक्टिव टेक्नोलॉजीज़ (Assisted Reproductive Technologies) से अच्छे रिज़ल्ट्स मिलते हैं। फर्टिलिटी स्पेशलिस्ट (Fertility Specialist) के साथ मिलकर पर्सनलाइज्ड ट्रीटमेंट प्लान बनाना सबसे असरदार होता है।
4. सेकेंडरी इनफर्टिलिटी (Secondary Infertility) में कौन-सी दवाएं दी जाती हैं?
क्लोमिड (Clomid), लेट्रोज़ोल (Letrozole), या हार्मोन इंजेक्शन्स (Hormone Injections) जैसी दवाएं ओव्यूलेशन को ट्रिगर करने के लिए दी जाती हैं। अगर मेल फैक्टर्स (Male Factors) शामिल हैं, तो ट्रीटमेंट में स्पर्म हेल्थ (Sperm Health) सुधारने पर भी फोकस होता है। आपके डॉक्टर आपकी डायग्नोसिस और फर्टिलिटी गोल्स (Fertility Goals) के हिसाब से मेडिकेशन तय करेंगे।
5. दूसरी बार प्रेग्नेंट (Pregnant) होने की संभावना कैसे बढ़ाई जा सकती है?
ओव्यूलेशन (Ovulation) के टाइम पर इंटरकोर्स करना बहुत ज़रूरी है। हेल्दी वज़न बनाए रखना, स्ट्रेस कम करना, और किसी भी मेडिकल कंडीशन (Medical Condition) का इलाज करवाना आपकी चांस बढ़ा सकता है। अगर नैचुरल तरीके काम नहीं कर रहे हों, तो कुछ कपल्स को फर्टिलिटी ट्रीटमेंट्स से मदद मिलती है।
निष्कर्ष
सेकेंडरी इनफर्टिलिटी (Secondary Infertility) कभी-कभी भ्रमित कर सकती है, लेकिन आप अकेले नहीं हैं — और मदद वाकई में मौजूद है। अपने शरीर में क्या हो रहा है, इसे समझना पहला स्टेप है। चाहे लाइफस्टाइल चेंज हो, ट्रीटमेंट हो या एक्सपर्ट गाइडेंस — उम्मीद हमेशा रहती है। अपने सफर पर भरोसा रखें, सवाल पूछें, और कॉन्फिडेंस के साथ अगला कदम बढ़ाएं।