प्रेग्नेंट होने की कोशिश कर रही हैं लेकिन वो दो पिंक लाइनें अब तक नहीं दिखीं? आप अकेली नहीं हैं — प्रेग्नेंसी (Pregnancy) न होने के कई कारण हो सकते हैं, और ज़्यादातर वजहें जितनी आम हैं, उतनी ही कम समझी जाती हैं। ओव्यूलेशन प्रॉब्लम्स (Ovulation problems), लो स्पर्म काउंट (Low sperm count), या ब्लॉक्ड फैलोपियन ट्यूब्स (Blocked fallopian tubes) — फर्टिलिटी (Fertility) कई वजहों से प्रभावित हो सकती है।
CDC के अनुसार, 15 से 49 साल की हर 5 में से 1 महिला को, एक साल तक कोशिश करने के बाद भी इनफर्टिलिटी (Infertility) का सामना करना पड़ता है।
अच्छी बात ये है: इनमें से कई फर्टिलिटी समस्याओं के इलाज मौजूद हैं — और इस आर्टिकल में हम जानेंगे सबसे आम कारण और वो तरीके जो आपकी कन्सेप्शन चांस (Conception chances) को बेहतर बना सकते हैं।
इनफर्टिलिटी (Infertility) क्या होती है?

इनफर्टिलिटी (Infertility) का मतलब है — एक साल तक रेग्युलर अनप्रोटेक्टेड सेक्स के बावजूद प्रेग्नेंसी न होना।
World Health Organization के अनुसार, हर 6 में से 1 वयस्क को ज़िंदगी में कभी न कभी इनफर्टिलिटी का अनुभव होता है।
इसके पीछे कारण हो सकते हैं:
- स्पर्म डिसऑर्डर्स (Sperm disorders)
- इरेक्टाइल डिसफंक्शन (Erectile dysfunction)
- रिप्रोडक्टिव सिस्टम (Reproductive system) से जुड़ी समस्याएं — जैसे स्कार टिशू (Scar tissue) या यूटेरस एबनॉर्मैलिटीज़ (Uterine abnormalities)
रोज़मर्रा की लाइफस्टाइल फैक्टर्स भी कन्सेप्शन (Conception) को प्रभावित कर सकते हैं — जैसे:
- स्मोकिंग
- बहुत ज़्यादा अल्कोहल
- लगातार स्ट्रेस (Chronic stress)
अगर आप कन्सीव करने की कोशिश कर रही हैं, तो सीमन एनालिसिस (Semen analysis) जैसे टेस्ट मददगार हो सकते हैं।
इसके बाद डॉक्टर फर्टिलिटी ट्रीटमेंट्स जैसे IVF ट्रीटमेंट (IVF treatment) या इन्ट्रायूटेरिन इनसेमिनेशन (Intrauterine insemination) की सलाह दे सकते हैं।
आप अकेली नहीं हैं — और मदद मौजूद है।
डॉ. अंशु अग्रवाल की वो बातें जो आपको प्रेग्नेंट होने की कोशिश से पहले जाननी चाहिए
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1. मेडिकल कंडीशन्स जो फर्टिलिटी (Fertility) को प्रभावित कर सकती हैं
पेल्विक इंफेक्शन (Pelvic infection), यूटेरिन फायब्रॉइड्स (Uterine fibroids), या सेक्सुअली ट्रांसमिटेड डिज़ीज़ेस (Sexually transmitted diseases) जैसे कंडीशन्स आपकी रिप्रोडक्टिव ऑर्गन्स (Reproductive organs) को धीरे-धीरे डैमेज कर सकते हैं — बिना किसी साफ़ लक्षण के।
CDC के अनुसार, बिना डायग्नोस हुए क्लेमाइडिया (Chlamydia) के कारण 30% तक ट्यूबल इनफर्टिलिटी (Tubal infertility) हो सकती है।
ये समस्याएं आमतौर पर रेग्युलर चेकअप के बिना पकड़ में नहीं आतीं।
2. रोज़मर्रा की आदतें जो चुपचाप फर्टिलिटी को नुकसान पहुंचा सकती हैं
स्मोकिंग, ज़्यादा शराब पीना, और कुछ प्रिस्क्रिप्शन दवाएं — ये सभी फर्टिलिटी (Fertility) पर असर डाल सकते हैं, वो भी बिना किसी लक्षण के।
यहां तक कि रिक्रिएशनल ड्रग्स (Recreational drugs) और लगातार स्ट्रेस (Chronic stress) भी हार्मोन बैलेंस (Hormone balance) बिगाड़ सकते हैं।
ऐसे लाइफस्टाइल फैक्टर्स को अक्सर लोग नजरअंदाज़ कर देते हैं — जबकि इनका असर असली होता है।
3. छिपी हुई फर्टिलिटी समस्याएं जिनके बारे में आपको पता भी नहीं होता
कुछ लोगों में एग लॉस (Egg loss), स्पर्म की खराब मूवमेंट (Abnormal sperm movement), या वीक स्पर्म फंक्शन (Weak sperm function) की समस्या होती है — लेकिन उन्हें इसका पता नहीं होता।
वेजनिकल कैनाल (Vaginal canal), यूटेरिन वॉल (Uterine wall), या बहुत कम बॉडी वेट (Low body weight) भी प्रेग्नेंसी में रुकावट बन सकते हैं।
इसीलिए फर्टिलिटी स्पेशलिस्ट (Fertility specialist) या इनफर्टिलिटी स्पेशलिस्ट (Infertility specialist) से समय पर मदद लेना ज़रूरी होता है।
“अभी अपना फर्टिलिटी कंसल्टेशन शेड्यूल करें अपनी फर्टिलिटी (Fertility) को समझने की दिशा में पहला कदम उठाइए।
डॉ. अंशु अग्रवाल से वन-ऑन-वन कंसल्ट बुक करें — जिनका अनुभव, सच्चा मार्गदर्शन और केयर आपको भरोसा देगा।”
आप प्रेग्नेंट क्यों नहीं हो रही हैं — 12 एक्सपर्ट-समर्थित कारण

अगर आप सोच रही हैं कि सब कोशिशों के बाद भी क्यों कुछ नहीं हो रहा — तो आप अकेली नहीं हैं। नीचे दिए गए 12 कारण चुपचाप आपकी कन्सेप्शन एबिलिटी (Conception ability) को प्रभावित कर सकते हैं।
1. ओव्यूलेशन समस्याएं (Ovulation Issues)
जब ओव्यूलेशन (Ovulation) अनियमित हो या बिल्कुल न हो, तो प्रेग्नेंसी कम प्रेडिक्टेबल हो जाती है। हल्के हार्मोनल बदलाव या थायरॉइड इश्यूज़ (Thyroid issues) इसके पीछे हो सकते हैं।
संभावित कारण:
- अनियमित मेंस्ट्रुअल सायकल (Disrupted menstrual cycle)
- छिपे हुए हार्मोनल प्रॉब्लम्स (Hidden hormonal problems)
- ओव्यूलेशन विंडो (Ovulation window) का मिस होना
2. ब्लॉक्ड फैलोपियन ट्यूब्स (Blocked Fallopian Tubes)
एग और स्पर्म का मिलना फैलोपियन ट्यूब्स (Fallopian tubes) में होता है। अगर ये ब्लॉक हैं, तो फर्टिलाइजेशन नहीं हो सकता।
ब्लॉकेज के कारण:
- पुराने इंफेक्शन जैसे हेल्थ कंडीशन्स (Underlying health conditions)
- सर्जरी या बीमारी के इलाज से बने स्कार टिशू (Scarring)
- ट्यूब डैमेज जो स्कैन के बिना दिखता नहीं
3. खराब एग क्वालिटी (Poor Egg Quality)
ओव्यूलेशन हो भी रहा हो, फिर भी अगर एग की क्वालिटी अच्छी नहीं है, तो हेल्दी प्रेग्नेंसी नहीं बन पाती। यह उम्र या जैविक बदलावों से हो सकता है।
फैक्टर्स:
- 35 के बाद एग लॉस तेज़ी से होता है
- एक से ज़्यादा एग का अनियमित विकास
- फर्टिलाइजेशन के समय क्रोमोसोमल एबनॉर्मैलिटीज़ (Chromosomal abnormalities)
4. मेल इनफर्टिलिटी फैक्टर्स (Male Infertility Factors)
मेल फर्टिलिटी (Male fertility) भी उतनी ही ज़रूरी है।
लो स्पर्म काउंट (Low sperm count), वीक मोटिलिटी (Weak motility), या स्पर्म क्वालिटी खराब होने से कन्सेप्शन नहीं हो पाता।
ध्यान देने योग्य बातें:
- कम स्पर्म प्रोडक्शन (Low sperm production)
- खराब स्पर्म फंक्शन (Poor sperm function)
- स्पर्म का असामान्य शेप या मूवमेंट
5. उम्र से जुड़ी फर्टिलिटी में गिरावट (Age-Related Fertility Decline)
उम्र एग क्वालिटी और हार्मोन बैलेंस दोनों को प्रभावित करती है। एक्सपर्ट्स के अनुसार, 37 के बाद फर्टिलिटी तेजी से घटती है।
उम्र के साथ बढ़ते रिस्क:
- मल्टीपल प्रेग्नेंसी का रिस्क
- ओव्यूलेशन में देरी या मिस
- फर्टिलिटी समस्याएं बढ़ना
6. हार्मोनल इम्बैलेंस (Hormonal Imbalances)
छोटे-छोटे हार्मोन बदलाव अक्सर ध्यान से बाहर रह जाते हैं, लेकिन ये ओव्यूलेशन या सायकल को बिगाड़ सकते हैं।
संकेत:
- रेग्युलर सायकल के बावजूद ओव्यूलेशन नहीं होना
- एग मेच्योर न होना
- अनएक्सप्लेंड इनफर्टिलिटी प्रॉब्लम्स
7. एंडोमेट्रियोसिस (Endometriosis)
जब यूटेरस (Uterus) के बाहर टिशू बढ़ने लगता है, तो यह फर्टिलिटी को डिस्टर्ब कर सकता है।
यह कैसे असर डालता है:
- स्कारिंग या ब्लॉकेज
- रिप्रोडक्टिव ऑर्गन्स को डैमेज करना
- अक्सर इनफर्टिलिटी जांच तक पकड़ में नहीं आता
8. पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (Polycystic Ovary Syndrome - PCOS)
PCOS एक आम हार्मोनल कंडीशन है जो ओव्यूलेशन को प्रभावित करती है। यह कम उम्र में फर्टिलिटी इश्यूज़ का बड़ा कारण बनता है।
लक्षण जिन पर ध्यान दें:
- अनियमित पीरियड्स
- अल्ट्रासाउंड पर दिखने वाले ओवेरियन सिस्ट्स
- ओव्यूलेशन ट्रीटमेंट्स का असर न दिखाना
9. यूटेरस या सर्विक्स की समस्याएं (Uterine or Cervical Conditions)
कभी-कभी यूटेरस (Uterus) इम्प्लांटेशन के लिए सही एनवायरनमेंट नहीं देता। ये कंडीशन्स आमतौर पर बिना लक्षण के रहती हैं।
संभावित समस्याएं:
- पतली या असमान यूटेरिन वॉल
- छोटे फायब्रॉइड्स (Fibroids)
- रिप्रोडक्टिव सिस्टम में रुकावट
10. अनहेल्दी लाइफस्टाइल हैबिट्स (Unhealthy Lifestyle Habits)
रोज़ के डिसीजन आपकी फर्टिलिटी पर असर डालते हैं — और धीरे-धीरे आपकी संभावनाएं कम कर सकते हैं।
आदतें जो फर्टिलिटी को नुकसान पहुंचा सकती हैं:
- स्मोकिंग या तंबाकू
- ज़्यादा अल्कोहल
- रिक्रिएशनल ड्रग्स का इस्तेमाल
11. अनएक्सप्लेंड इनफर्टिलिटी (Unexplained Infertility)
जब सारे टेस्ट नॉर्मल हों, फिर भी प्रेग्नेंसी न हो — तो ये अनएक्सप्लेंड इनफर्टिलिटी कहलाती है। और नहीं, आप इसे सिर्फ सोच नहीं रही हैं — ये असली होती है।
क्या जानना ज़रूरी है:
- दूसरी फर्टिलिटी ट्रीटमेंट्स की ज़रूरत हो सकती है
- अक्सर ART (Assisted Reproductive Technologies) से मैनेज होती है
- टाइमिंग या अंदरूनी सूक्ष्म कारण शामिल हो सकते हैं
12. फर्टाइल विंडो के बाहर संबंध बनाना (Timing Outside the Fertile Window)
सब कुछ टाइमिंग पर निर्भर करता है — सिर्फ एक दिन की चूक भी फर्क डाल सकती है। बिना ट्रैकिंग के आपकी फर्टाइल विंडो (Fertile window) मिस हो सकती है।
ऐसा न हो इसके लिए:
- ओव्यूलेशन प्रेडिक्शन टूल्स का इस्तेमाल करें
- शरीर के नेचुरल सिग्नल्स को समझें
- ज़रूरत हो तो फर्टिलिटी स्पेशलिस्ट से संपर्क करें
“शुरुआत कहां से करें — कन्फ्यूज़ हैं? तो बात करें हर फर्टिलिटी जर्नी अलग होती है।
डॉ. अंशु अग्रवाल से पर्सनल गाइडेंस लें और अपनी ज़रूरत के अनुसार सही रास्ता तय करें।”
कब करानी चाहिए इनफर्टिलिटी जांच(Infertility Evaluation)?
अगर आप काफ़ी समय से कन्सीव (Conceive) करने की कोशिश कर रही हैं और अब तक कोई रिज़ल्ट नहीं मिला, तो हो सकता है कि अब चीज़ों को करीब से देखने का वक्त आ गया हो।
इनफर्टिलिटी इवैल्यूएशन (Infertility evaluation) छिपे हुए कारणों को समझने में मदद करता है — और आपको क्लैरिटी देता है।
एक्सपर्ट्स किन इनफर्टिलिटी ट्रीटमेंट ऑप्शन्स(Infertility Treatment Options) की सलाह देते हैं?

अगर आपको प्रेग्नेंट होने में परेशानी आ रही है, तो अपने ट्रीटमेंट ऑप्शन्स को जानना चीज़ों को कंट्रोल में महसूस करने में मदद करता है। डॉक्टर अक्सर मेडिकल, सर्जिकल और लाइफस्टाइल-आधारित अप्रोच का कॉम्बिनेशन सुझाते हैं — ये इस पर निर्भर करता है कि असली कारण क्या है।
1. फर्टिलिटी मेडिकेशन्स (Fertility Medications)
ये पहला स्टेप होता है, खासकर जब ओव्यूलेशन (Ovulation) अनियमित हो। ये दवाएं एग रिलीज़ (Egg release) को स्टिम्युलेट करती हैं और सायकल को रेगुलेट करती हैं।
ऑप्शन्स में शामिल हैं:
- ओरल दवाएं जो ओव्यूलेशन को ट्रिगर करती हैं
- हार्मोन सपोर्ट जो सायकल से जुड़े फैक्टर्स को बैलेंस करता है
- फर्टिलिटी स्पेशलिस्ट की निगरानी में सपोर्टिव दवाएं
2. हार्मोन थेरेपी (Hormone Therapy)
जब हार्मोन लेवल्स में गड़बड़ी होती है, तो टारगेटेड थेरेपी से बैलेंस वापस लाया जा सकता है। यह सेक्सुअल फंक्शन (Sexual function) या अनियमित सायकल के मामलों में मदद करता है।
जिन मामलों में ये यूज़ होती है:
- एस्ट्रोजन या प्रोजेस्ट्रोन की कमी (Low estrogen or progesterone)
- हल्के हार्मोनल प्रॉब्लम्स
- मेल पार्टनर में टेस्टोस्टेरोन इश्यूज़ (Testosterone-related issues)
3. इन्ट्रायूटेरिन इनसेमिनेशन (Intrauterine Insemination - IUI)
इस प्रोसीजर में कन्सन्ट्रेटेड स्पर्म (Concentrated sperm) को सीधे यूटेरस (Uterus) में डाला जाता है। ये अक्सर फर्टिलिटी मेड्स के साथ किया जाता है।
कब किया जाता है:
- माइल्ड मेल इनफर्टिलिटी (Mild male infertility)
- सेक्सुअल फंक्शन या प्रीमैच्योर इजैकुलेशन के इश्यूज़
- फर्टाइल विंडो (Fertile window) के टाइमिंग प्रॉब्लम्स
4. इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (In Vitro Fertilization - IVF)
IVF एक पॉपुलर ट्रीटमेंट है जिसे तब यूज़ किया जाता है जब बाकी ट्रीटमेंट्स काम नहीं करते।
ये तब असरदार होता है जब फैलोपियन ट्यूब्स (Fallopian tubes) या फर्टिलाइजेशन में दिक्कत हो।
इसमें होता है:
- लैब में एग और स्पर्म को मिलाना
- एम्ब्रियो डेवलपमेंट को मॉनिटर करना
- हेल्दी एम्ब्रियो को यूटेरस में ट्रांसफर करना
5. इंट्रासाइटोप्लास्मिक स्पर्म इंजेक्शन (Intracytoplasmic Sperm Injection - ICSI)
ICSI, IVF का एक खास तरीका है जिसमें एक हेल्दी स्पर्म को सीधे एक एग में इंजेक्ट किया जाता है।
यह इन केस में फायदेमंद है:
- वीक स्पर्म फंक्शन (Poor sperm function)
- कम स्पर्म काउंट या मोटिलिटी (Low count or motility)
- पहले IVF फेलियर के केस
6. सर्जिकल ट्रीटमेंट्स (Surgical Treatments)
अगर कोई फिज़िकल दिक्कत कन्सेप्शन को रोक रही है, तो सर्जरी की ज़रूरत हो सकती है।
यह एंडोमेट्रियोसिस (Endometriosis) या यूटेरिन एबनॉर्मैलिटीज़ (Uterine abnormalities) के इलाज में यूज़ होती है।
इनके लिए सर्जरी की जाती है:
- ब्लॉक्ड ट्यूब्स (Blocked tubes)
- स्कार टिशू हटाना (Removal of scar tissue)
- रिप्रोडक्टिव ऑर्गन्स की रिपेयर
7. असिस्टेड रिप्रोडक्टिव टेक्नोलॉजीज़ (Assisted Reproductive Technologies - ART)
ART में IVF, ICSI और डोनर प्रोग्राम्स जैसे एडवांस्ड फर्टिलिटी मेथड्स आते हैं।
यह आमतौर पर लंबे समय से चल रही या अनएक्सप्लेंड इनफर्टिलिटी में यूज़ होता है।
इसमें शामिल हो सकता है:
- डोनर एग्स या स्पर्म का उपयोग
- स्पेशलाइज्ड लैब्स के साथ कोऑर्डिनेशन
- एडवांस्ड रिप्रोडक्टिव मेडिसिन का सपोर्ट
8. लाइफस्टाइल चेंजेस और सपोर्टिव थेरेपीज़ (Lifestyle Changes and Supportive Therapies)
कभी-कभी छोटे बदलाव भी बड़ा असर डालते हैं। इसमें हाई ब्लड प्रेशर (High blood pressure) जैसे कंडीशन्स का मेडिकल मैनेजमेंट भी शामिल होता है या पुराने कैंसर ट्रीटमेंट के रिस्क को एड्रेस करना।
जो चीज़ें मदद कर सकती हैं:
- डाइट, एक्सरसाइज़ और स्ट्रेस रिलीफ
- स्मोकिंग और अल्कोहल कम करना
- मेंटल हेल्थ सपोर्ट और काउंसलिंग
फर्टिलिटी (Fertility) को नेचुरली कैसे सपोर्ट करें?

फर्टिलिटी को सपोर्ट करना हमेशा क्लिनिक से शुरू नहीं होता — इसकी शुरुआत आपके घर से भी हो सकती है।
हर दिन की छोटी-छोटी आदतें, जो पुरुषों और महिलाओं दोनों पर असर डालती हैं, रिप्रोडक्टिव हेल्थ (Reproductive health) में बड़ा फर्क ला सकती हैं।
नियमित और सिंपल बदलाव आपके कन्सेप्शन चांस (Conception chances) को बेहतर बना सकते हैं।
🟢 हेल्दी वज़न बनाए रखें
वज़न उन अहम फैक्टर्स में से एक है जो ओव्यूलेशन (Ovulation) और हार्मोन बैलेंस (Hormone balance) को प्रभावित करता है।
- BMI को 19 से 24 के बीच रखें
- अंडरवेट या ओवरवेट दोनों ही कन्सेप्शन में देरी कर सकते हैं
🟢 स्ट्रेस को मैनेज करें
क्रॉनिक स्ट्रेस (Chronic stress) हार्मोन्स और सायकल को डिस्टर्ब कर सकता है।
- योग, डीप ब्रीदिंग, या गाइडेड मेडिटेशन करें
- आराम और डाउनटाइम को प्राथमिकता दें
🟢 अपनी फर्टाइल विंडो ट्रैक करें
फर्टाइल विंडो (Fertile window) को जानने से सही टाइमिंग में मदद मिलती है।
- ओव्यूलेशन किट्स (Ovulation kits) या मोबाइल ऐप्स का उपयोग करें
- मेंस्ट्रुअल सायकल के पैटर्न को ट्रैक करें
🟢 फर्टिलिटी-फ्रेंडली डाइट लें
- डाइट में हरी सब्जियां, होल ग्रेन्स और हेल्दी फैट्स शामिल करें
- एंटीऑक्सीडेंट्स महिलाओं की हेल्थ और एग क्वालिटी (Egg quality) को सपोर्ट करते हैं
🟢 मॉडरेशन में एक्सरसाइज़ करें
- ना तो पूरी तरह एक्टिविटी बंद करें, ना ही ओवरट्रेनिंग करें
- लाइट कार्डियो और स्ट्रेंथ वर्कआउट्स सबसे अच्छे होते हैं
🟢 स्मोकिंग छोड़ें और अल्कोहल कम करें
- स्मोकिंग से एग हेल्थ (Egg health) और हार्मोन फंक्शन (Hormone function) दोनों प्रभावित होते हैं
- अल्कोहल ओव्यूलेशन और स्पर्म (Sperm) को प्रभावित करता है
🟢 नींद की क्वालिटी सुधारें
- खराब नींद हार्मोनल शिफ्ट्स से जुड़ी होती है
- रोज़ाना 7–8 घंटे की नींद लें — ये एग हेल्थ और स्पर्म क्वालिटी दोनों के लिए ज़रूरी है
“डॉ. अंशु से कोई सवाल है? खुलकर पूछें — जजमेंट नहीं, सिर्फ सपोर्ट। प्रेग्नेंसी या कन्सेप्शन को लेकर कोई चिंता या कन्फ्यूज़न है? हमें मैसेज भेजें — हम सुनने और आपकी मदद करने के लिए हमेशा तैयार हैं।”
महिलाओं में फर्टिलिटी से जुड़े अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQs on Female Fertility)
1. मेरे पीरियड्स रेग्युलर हैं, फिर भी मैं प्रेग्नेंट क्यों नहीं हो रही?
रेग्युलर सायकल होने के बावजूद भी प्रेग्नेंसी (Pregnancy) न होना आम है।
इसके पीछे कारण हो सकते हैं:
- ब्लॉक्ड फैलोपियन ट्यूब्स (Blocked fallopian tubes)
- खराब एग क्वालिटी (Poor egg quality)
- लो स्पर्म काउंट (Low sperm count)
👉 दोनों पार्टनर्स की पूरी इनफर्टिलिटी इवैल्यूएशन (Infertility evaluation) करवाना फायदेमंद रहता है।
2. मैं ओव्यूलेट कर रही हूं, लेकिन प्रेग्नेंसी क्यों नहीं हो रही?
ओव्यूलेशन (Ovulation) होना ही कन्सेप्शन (Conception) की गारंटी नहीं है।
इसके अलावा भी कई फैक्टर्स ज़रूरी होते हैं, जैसे:
- सही टाइमिंग
- स्पर्म क्वालिटी (Sperm quality)
- फर्टिलाइजेशन प्रोसेस (Fertilization process) में दिक्कत
3. प्रेग्नेंट न हो पाने के संकेत क्या हो सकते हैं?
संकेत हो सकते हैं:
- अनियमित पीरियड्स
- तेज़ पीरियड पेन या क्रैम्प्स
- पेल्विक इंफेक्शन (Pelvic infection) का पुराना इतिहास
पुरुषों में:
- कम सेक्स ड्राइव (Low libido)
- पहले की STD हिस्ट्री — मेल इनफर्टिलिटी (Male infertility) का संकेत हो सकती है
4. कौन-सी चीज़ें प्रेग्नेंसी में रुकावट डाल सकती हैं?
कॉमन रुकावटों में शामिल हैं:
- स्कार टिशू (Scar tissue)
- यूटेरस की गड़बड़ी (Uterine abnormalities)
- बिना डायग्नोस हुई कंडीशंस जैसे एंडोमेट्रियोसिस (Endometriosis)
👉 ये इश्यूज़ अक्सर सिर्फ इमेजिंग टेस्ट्स से ही पकड़ में आते हैं।
5. प्रेग्नेंसी के लिए सबसे अच्छी उम्र क्या होती है?
मेडिकल तौर पर 20–30 साल की उम्र को सबसे फर्टाइल माना जाता है।
35 के बाद फर्टिलिटी (Fertility), खासकर एग क्वालिटी (Egg quality), धीरे-धीरे कम होने लगती है।
6. अगर मैं प्रेग्नेंट नहीं हो पा रही हूं तो मुझे क्या करना चाहिए?
- शुरुआत एक फर्टिलिटी स्पेशलिस्ट (Fertility specialist) से कंसल्ट करने से करें
- वो आपकी स्थिति के अनुसार लाइफस्टाइल बदलाव, टेस्टिंग या ट्रीटमेंट जैसे IUI या IVF सजेस्ट करेंगे
निष्कर्ष (Conclusion)
अगर आप लंबे समय से कोशिश कर रही हैं और फिर भी प्रेग्नेंसी नहीं हो रही, तो कन्फ्यूज़ या थका हुआ महसूस करना बिल्कुल नॉर्मल है।
सच ये है — फर्टिलिटी (Fertility) कई फैक्टर्स से प्रभावित होती है, और उन्हें समझना ही पहला स्टेप है।
मेडिकल कंडीशंस से लेकर फर्टाइल विंडो टाइमिंग तक, जो चीज़ें आपके कंट्रोल में हैं, उन्हें जानना बेहद ज़रूरी है।
फर्टिलिटी स्पेशलिस्ट से बात करने में देर न करें — एक सिंपल इनफर्टिलिटी इवैल्यूएशन भी बहुत क्लैरिटी दे सकता है।
और याद रखें — आप अकेली नहीं हैं।
सही गाइडेंस और समझदारी भरे डिसीज़न से कई कपल्स को अपनी राह मिल चुकी है।
आपके पास विकल्प हैं — और वो एक्सप्लोर करने लायक हैं।