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गर्भाशय में गर्भाधान (Intrauterine Insemination) उपचार गाइड: लागत, सफलता दर, और सबसे अहम बातें

अपने पेरेंटहुड के सफर में इन्ट्रायूटेरिन इनसेमिनेशन (Intrauterine Insemination) ट्रीटमेंट से जुड़ी सही लागत, असली सफलता दर, और जो सबसे ज़्यादा मायने रखता है—उसके बारे में विस्तार से जानें।
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Written by
Samruddhi
Published on
April 30, 2025

क्या आप इन्ट्रायूटेरिन इनसेमिनेशन (Intrauterine Insemination - IUI) ट्राय करने का सोच रहे हैं? आप अकेले नहीं हैं। भारत में करीब 10–20% कपल्स इनफर्टिलिटी (Infertility) की परेशानी से जूझते हैं, और IUI को अक्सर पहली फर्टिलिटी ट्रीटमेंट (Fertility Treatment) के रूप में रिकमेंड किया जाता है (इंडियन सोसाइटी फॉर असिस्टेड रिप्रोडक्शन, 2023)।

IUI वैसे सिंगल महिलाएं या सेम-सेक्स फीमेल कपल्स (Same-sex female couples) के लिए भी एक पॉपुलर चॉइस है जो बिना पार्टनर के कंसीव करना चाहती हैं।

ये प्रोसेस आईवीएफ (IVF - In Vitro Fertilization) से आसान, सस्ता और कम इनवेसिव है—लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि ये पूरी तरह सीधा-सपाट होता है। कॉस्ट कन्फ्यूजन (Cost confusion), स्पर्म सैंपल (Sperm sample) की तैयारी, और दो हफ्तों के वेट में आने वाले इमोशनल रोलरकोस्टर (Emotional rollercoaster) को समझना जरूरी है।

इसीलिए हमने ये गाइड तैयार किया है—ताकि आप IUI की पूरी इनसेमिनेशन प्रोसीजर (Insemination procedure), सक्सेस रेट्स (Success rates) और बाद में क्या उम्मीद की जाए—ये सब अच्छी तरह समझ सकें। चलिए, इसे थोड़ा आसान बनाते हैं।

इन्ट्रायूटेरिन इनसेमिनेशन ट्रीटमेंट (Intrauterine Insemination Treatment) क्या है—और आज इसे क्यों अपनाएं?

What Is Insemination Treatment—and Why Consider It Today?
इन्ट्रायूटेरिन इनसेमिनेशन ट्रीटमेंट (Intrauterine Insemination Treatment) क्या है—और आज इसे क्यों अपनाएं?

इन्ट्रायूटेरिन इनसेमिनेशन ट्रीटमेंट (Intrauterine Insemination Treatment), जिसे आर्टिफिशियल इनसेमिनेशन (Artificial Insemination) भी कहा जाता है, उन कपल्स के लिए एक आम तरीका है जो फर्टिलिटी प्रॉब्लम्स (Fertility Problems) का सामना कर रहे हैं और बच्चा प्लान करना चाहते हैं।

IUI (Intrauterine Insemination) प्रेग्नेंसी के चांस को बढ़ाता है क्योंकि इसमें स्पर्म (Sperm) को सीधे फैलोपियन ट्यूब्स (Fallopian Tubes) के पास पहुंचाया जाता है। यह खासतौर पर उन महिलाओं के लिए असरदार है जिन्हें सर्विक्स (Cervix) से जुड़ी कोई अनएक्सप्लेंड कंडीशन हो। IUI तब भी किया जाता है जब सर्वाइकल म्यूकस (Cervical Mucus) में समस्या हो, जिससे स्पर्म को नेचुरली ट्रैवल करने में दिक्कत होती है।

सिंपल भाषा में, इसका प्रोसेस कुछ इस तरह होता है:

  • डॉक्टर एक थिन ट्यूब (Thin Tube) के ज़रिए हेल्दी स्पर्म (Sperm) को सीधे महिला के यूटरस (Uterus) में प्लेस करते हैं।
  • इससे स्पर्म सीधे फैलोपियन ट्यूब्स (Fallopian Tubes) के पास पहुंचता है, जहां वह एग (Egg) से मिल सकता है।
  • इसे खासतौर पर तब इस्तेमाल किया जाता है जब लो स्पर्म काउंट (Low Sperm Count), अनएक्सप्लेंड इनफर्टिलिटी (Unexplained Infertility) या सीमन सैंपल क्वालिटी (Semen Sample Quality) में दिक्कत होती है। IUI के दौरान एक कैथेटर (Catheter) यूज़ किया जाता है जिससे स्पर्म सीधे यूटरस में जाता है।

इंडियन सोसाइटी फॉर असिस्टेड रिप्रोडक्शन (ISAR) के अनुसार, भारत में लगभग 10–15% कपल्स फर्टिलिटी चैलेंजेस (Fertility Challenges) का सामना करते हैं और IUI पहली सिफारिश की जाने वाली ट्रीटमेंट्स में से एक है।

इस ट्रीटमेंट में डोनर स्पर्म (Donor Sperm) का इस्तेमाल भी किया जा सकता है जो स्पर्म बैंक (Sperm Bank) से आता है, या फिर मेल पार्टनर (Male Partner) का स्पर्म यूज़ किया जाता है—ये पूरी तरह केस पर डिपेंड करता है।

प्रोसीजर से पहले, आपको फर्टिलिटी मेडिकेशंस (Fertility Medications) या ब्लड टेस्ट (Blood Test) की ज़रूरत हो सकती है ताकि हॉर्मोन लेवल्स (Hormone Levels) और एग डेवलपमेंट (Egg Development) को ट्रैक किया जा सके।

IUI के दौरान फर्टिलिटी मेडिकेशंस (Fertility Medications) लेने से जुड़वां या तीन बच्चों की संभावना भी बढ़ सकती है।


IUI बनाम IVF तालिका

इन्ट्रायूटेरिन इनसेमिनेशन (Intrauterine Insemination - IUI) बनाम इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (In Vitro Fertilization - IVF): अन्य फर्टिलिटी ट्रीटमेंट

पैरामीटर IUI (Intrauterine Insemination) IVF (In Vitro Fertilization)
प्रक्रिया की जटिलता सरल और कम इनवेसिव ज्यादा जटिल और इनवेसिव
खर्च (Estimated Cost) ₹8,000 – ₹15,000 प्रति साइकिल ₹1,00,000 – ₹2,50,000 प्रति साइकिल
सफलता दर 10% – 20% प्रति साइकिल 40% – 60% प्रति साइकिल (महिला की उम्र पर निर्भर)
किसके लिए बेहतर माइल्ड इनफर्टिलिटी, अनएक्सप्लेंड इनफर्टिलिटी, या लो स्पर्म काउंट ट्यूब ब्लॉकेज, एडवांस्ड एज, बार-बार फेल IUI
समय 1–2 हफ्ते की प्रक्रिया 4–6 हफ्ते की प्रक्रिया
हॉर्मोन थेरेपी की जरूरत कम या सीमित अधिक और नियमित

इनसेमिनेशन प्रक्रिया कैसे होती है: एक स्टेप-बाय-स्टेप गाइड

How Insemination Procedure Works: A Step-by-Step Breakdown
इनसेमिनेशन प्रक्रिया कैसे होती है: एक स्टेप-बाय-स्टेप गाइड

1. शुरुआती फर्टिलिटी टेस्ट्स (Initial Fertility Tests)

शुरू करने से पहले, आपका डॉक्टर कुछ जरूरी टेस्ट्स करेगा ताकि आपकी फर्टिलिटी हेल्थ (Fertility Health) को समझा जा सके। इससे ये तय किया जाता है कि इनसेमिनेशन ट्रीटमेंट (Insemination Treatment) आपके लिए सही रहेगा या नहीं।

  • एक ब्लड टेस्ट (Blood Test) किया जाता है ताकि हॉर्मोन लेवल्स (Hormone Levels) को चेक किया जा सके।
  • एक सीमन एनालिसिस (Semen Analysis) में स्पर्म (Sperm) की मूवमेंट, शेप और काउंट को देखा जाता है।
  • महिलाओं के लिए अल्ट्रासाउंड (Ultrasound) से देखा जाता है कि एग डेवलपमेंट (Egg Development) कैसा है और क्या फैलोपियन ट्यूब्स (Fallopian Tubes) खुले हैं।

अगर लो स्पर्म काउंट (Low Sperm Count) या सीवियर स्पर्म एब्नॉर्मैलिटीज़ (Severe Sperm Abnormalities) हैं तो वो भी पता चल जाता है।
स्पर्म प्रिपरेशन (Sperm Preparation) में स्पर्म सैंपल (Sperm Sample) को वॉश और कंसंट्रेट किया जाता है, ताकि IUI प्रोसीजर (IUI Procedure) से पहले हेल्दी स्पर्म तैयार हो।

“हम दोनों पार्टनर्स की जांच बहुत ध्यान से करते हैं ताकि सबसे अच्छा ट्रीटमेंट चुन सकें,” कहती हैं डॉ. अंशु अग्रवाल, भारत की जानी-मानी फर्टिलिटी स्पेशलिस्ट (Fertility Specialist)।

2. स्पर्म सैंपल कलेक्शन (Sperm Sample Collection)

Sperm Sample Collection
स्पर्म सैंपल कलेक्शन (Sperm Sample Collection)

टेस्ट्स पूरे होने के बाद, अब स्पर्म सैंपल (Sperm Sample) कलेक्ट करने की बारी आती है। यह मेल पार्टनर (Male Partner) या डोनर स्पर्म (Donor Sperm) से हो सकता है—ये आपकी कंडीशन पर निर्भर करता है (जैसे सीमन एलर्जी (Semen Allergy) या इनफर्टिलिटी ट्रीटमेंट (Infertility Treatment))।

  • सैंपल को स्पर्म वॉशिंग (Sperm Washing) के ज़रिए क्लीन किया जाता है।
  • इस प्रक्रिया में कमजोर स्पर्म सेल्स (Sperm Cells), सेमिनल फ्लुइड (Seminal Fluid) और अन्य अनचाही चीज़ें हटा दी जाती हैं।
  • केवल हेल्दी स्पर्म (Sperm) को रखा जाता है ताकि फर्टिलाइजेशन (Fertilization) का चांस बढ़े।

क्या आप जानते हैं? एक स्पर्म सैंपल (Sperm Sample) में लाखों सेल्स हो सकते हैं, लेकिन सिर्फ थोड़ा सा प्रतिशत (Only a Small Percentage) ही एग तक पहुंचने लायक होता है।


3. फर्टिलिटी ड्रग्स या मेडिकेशन (Fertility Drugs or Medications)

हर किसी को दवाइयों की ज़रूरत नहीं होती, लेकिन कई मामलों में फर्टिलिटी ट्रीटमेंट (Fertility Treatment) में फर्टिलिटी ड्रग्स (Fertility Drugs) लेना फायदेमंद होता है।

  • ये दवाएं ओवरी को मेच्योर एग्स (Mature Eggs) बनाने में मदद करती हैं।
  • कभी-कभी एक से ज्यादा एग्स (Eggs) बनते हैं जिससे प्रेग्नेंसी के चांस और बढ़ते हैं।
  • एक हॉर्मोन शॉट, जैसे एचसीजी (Human Chorionic Gonadotropin - hCG), ओव्यूलेशन (Ovulation) को सही समय पर ट्रिगर करता है।

ये स्टेप खासतौर पर तब जरूरी होता है जब अनएक्सप्लेंड इनफर्टिलिटी (Unexplained Infertility) या माइल्ड मेल फैक्टर इनफर्टिलिटी (Mild Male Factor Infertility) हो।

4. ओव्यूलेशन मॉनिटरिंग (Ovulation Monitoring)

Ovulation Monitoring
ओव्यूलेशन मॉनिटरिंग (Ovulation Monitoring)

इनसेमिनेशन ट्रीटमेंट (Insemination Treatment) में टाइमिंग सबसे अहम होती है। डॉक्टर यह ट्रैक करते हैं कि आप कब ओव्यूलेट (Ovulate) करने वाली हैं।

  • रेगुलर ब्लड टेस्ट (Blood Test) से हॉर्मोन लेवल्स (Hormone Levels) देखे जाते हैं।
  • अल्ट्रासाउंड (Ultrasound) से देखा जाता है कि एग ग्रोथ (Egg Growth) ठीक है या नहीं।
  • ज़रूरत हो तो एलएच (Luteinizing Hormone - LH) या एचसीजी (hCG) शॉट से एग रिलीज़ (Egg Release) कराया जाता है।

यह जरूरी है क्योंकि स्पर्म बायपासेस (Sperm Bypasses) कई रुकावटें और यूटरस (Uterus) में सही समय पर एग (Egg) से मिलना चाहिए ताकि सक्सेसफुल प्रेग्नेंसी (Successful Pregnancy) हो सके।

“ओव्यूलेशन की टाइमिंग बहुत ज़रूरी होती है। एक दिन का फर्क भी रिजल्ट बदल सकता है,” कहती हैं डॉ. अंशु अग्रवाल।


5. इनसेमिनेशन प्रोसीजर (The Insemination Procedure)

IUI प्रोसीजर (IUI Procedure) बहुत सिंपल होता है और आमतौर पर डॉक्टर के ऑफिस (Doctor’s Office) में किया जाता है।

  • एक सॉफ्ट ट्यूब (Soft Tube) से प्रोसेस्ड स्पर्म (Processed Sperm) को यूटरस (Uterus) में प्लेस किया जाता है।
  • स्पर्म मेल पार्टनर (Male Partner) या स्पर्म डोनर (Sperm Donor) से लिया जाता है।
  • स्पर्म क्वालिटी (Sperm Quality) कम होने पर वॉशिंग से सिर्फ बेस्ट स्पर्म ही यूज किया जाता है।

अधिकतर लोगों को कोई दर्द नहीं होता, बस हल्का क्रैम्प (Cramp) हो सकता है। यही वो स्टेप है जिसे लोग आमतौर पर IUI प्रोसीजर (IUI Procedure) कहते हैं।

6. पोस्ट-प्रोसीजर रेस्ट (Post-Procedure Rest)

IUI के बाद (Undergoing IUI), आपको 15–30 मिनट आराम करने को कहा जा सकता है। इसके बाद आप घर जा सकते हैं।

  • थोड़ा बहुत क्रैम्पिंग (Mild Cramping) या वजाइनल ब्लीडिंग (Vaginal Bleeding) हो सकती है—ये आम है।
  • भारी एक्सरसाइज़ या ट्रैवल से बचें।
  • डॉक्टर द्वारा बताई गई फर्टिलिटी मेडिसिन्स (Fertility Medicines) या प्रेनैटल विटामिन्स (Prenatal Vitamins) लेते रहें।

हर लक्षण पर ज़्यादा सोचने की ज़रूरत नहीं है। करीब 14 दिन बाद प्रेग्नेंसी टेस्ट (Pregnancy Test) करें। यह इंतजार मुश्किल हो सकता है, लेकिन आप अकेले नहीं हैं।


7. प्रेग्नेंसी टेस्ट दो हफ्तों बाद (Pregnancy Test After 2 Weeks)

IUI ट्रीटमेंट (IUI Treatment) के बाद एक्साइटमेंट और टेंशन दोनों हो सकते हैं। लेकिन ध्यान रखें—प्रेग्नेंसी टेस्ट (Pregnancy Test) करने से पहले करीब दो हफ्ते इंतजार करें।

टेस्ट से क्या उम्मीद रखें:

  • पॉजिटिव रिजल्ट का मतलब सक्सेसफुल प्रेग्नेंसी (Successful Pregnancy) हो सकता है, लेकिन फिर भी ब्लड वर्क (Blood Work) जरूरी होता है।
  • नेगेटिव रिजल्ट का मतलब ये नहीं कि ट्रीटमेंट फेल हुआ। डॉक्टर दोबारा टेस्ट कराने की सलाह दे सकते हैं।
  • कुछ मामलों में, आने वाले IUI साइक्ल्स (IUI Cycles) में प्रेग्नेंसी रेट (Pregnancy Rate) बेहतर हो सकता है, खासकर जब ओव्यूलेशन स्टिमुलेशन (Stimulate Ovulation) को ऑप्टिमाइज़ किया जाए।

विशेषज्ञ से मिलिए: डॉ. अंशु अग्रवाल और इनसेमिनेशन ट्रीटमेंट (Insemination Treatment)

Meet the Expert: Dr. Anshu Agrawal on Insemination Treatment
विशेषज्ञ से मिलिए: डॉ. अंशु अग्रवाल और इनसेमिनेशन ट्रीटमेंट (Insemination Treatment)

अगर आप इनसेमिनेशन ट्रीटमेंट (Insemination Treatment) लेने की सोच रहे हैं, तो किसी भरोसेमंद विशेषज्ञ से सलाह लेना ज़रूरी है—और डॉ. अंशु अग्रवाल फर्टिलिटी केयर के सबसे प्रमुख नामों में से एक हैं। Obstetrics और Gynecology में 18 साल से ज्यादा अनुभव के साथ, उन्होंने सैकड़ों जोड़ों को पेरेंटहुड की ओर रास्ता दिखाया है।

डॉ. अग्रवाल खासतौर पर Intrauterine Insemination (IUI), Fertility Medication Planning और Cycle Monitoring जैसी ट्रीटमेंट्स में व्यक्तिगत देखभाल देने के लिए जानी जाती हैं। उनका क्लिनिक हमेशा "Patient-First" अप्रोच और Evidence-Based Method को फॉलो करता है।

डॉ. अंशु अग्रवाल आपकी किस तरह मदद कर सकती हैं:

  • IUI, IVF और Infertility Evaluations में Expert
  • Sperm Washing और Ovulation Tracking की लेटेस्ट टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल
  • Partner’s Sperm और Donor Insemination के विकल्पों पर स्पष्ट गाइडेंस
  • Unexplained Infertility से जूझ रहे जोड़ों के लिए Compassionate Care
  • Patients के बीच उनकी Ethical, Transparent और Empathetic Approach के लिए भरोसेमंद नाम

डॉ. अग्रवाल Medifirst Hospital, रांची, झारखंड में Consult करती हैं।
आप उनकी ऑफिशियल वेबसाइट से आसानी से अपॉइंटमेंट बुक कर सकते हैं:
👉 www.dranshuagarwal.com
📞 या कॉल करें: +91 72939 37999


IUI की तैयारी: ज़रूरी टेस्ट और मॉनिटरिंग

Preparing for IUI: Key Tests and Monitoring
IUI की तैयारी: ज़रूरी टेस्ट और मॉनिटरिंग

1. हार्मोन ट्रैक करने के लिए ब्लड टेस्ट (Blood Test)

आपका डॉक्टर एक ब्लड टेस्ट (Blood test) करवाएगा ताकि यह देखा जा सके कि आपके हार्मोन लेवल्स कैसे हैं। हार्मोन जैसे ल्यूटिनाइजिंग हार्मोन (Luteinizing hormone - LH) और एस्ट्रोजन (Estrogen) अंडों की ग्रोथ और मेच्योरिटी के लिए ज़रूरी होते हैं।

  • LH बताता है कि ओव्यूलेशन (Ovulation) कब आने वाला है।
  • Estrogen यह दिखाता है कि आपका शरीर फर्टिलिटी मेडिकेशन (Fertility medications) पर कैसे रिस्पॉन्ड कर रहा है।
  • अगर हार्मोन लेवल बहुत ज़्यादा या बहुत कम हो, तो डॉक्टर ट्रीटमेंट प्लान में बदलाव कर सकते हैं।

“हम हार्मोन ट्रैक करके इनसेमिनेशन (Insemination) टाइम करते हैं, ताकि स्पर्म (Sperm) सही समय पर एग से मिल सके,” कहती हैं डॉ. अंशु अग्रवाल, जो भारत की जानी-मानी फर्टिलिटी स्पेशलिस्ट हैं।

2. अंडों की ग्रोथ देखने के लिए अल्ट्रासाउंड (Ultrasounds)

आपके क्लिनिक में अल्ट्रासाउंड (Ultrasounds) किए जाते हैं ताकि अंडों की ग्रोथ पर नज़र रखी जा सके।

  • इन स्कैन से डॉक्टर देख सकते हैं कितने अंडे मेच्योर हो रहे हैं और उनके साइज क्या हैं।
  • अगर अंडे ठीक से नहीं बढ़ते, तो इनसेमिनेशन प्रोसीजर (Insemination procedure) टालना पड़ सकता है।
  • अगर ज़्यादा अंडे मेच्योर हो जाएं, तो मल्टीपल प्रेग्नेंसी (Multiple pregnancy) का रिस्क होता है।

अल्ट्रासाउंड से यह भी देखा जाता है कि फॉलोपियन ट्यूब्स (Fallopian tubes) और महिला की यूटेरस (Woman’s uterus) सामान्य हैं या नहीं।


3. ओव्यूलेशन ट्रिगर शॉट (Ovulation Trigger Shot)

Ovulation Trigger Shot
ओव्यूलेशन ट्रिगर शॉट (Ovulation Trigger Shot)

जब अंडा मेच्योर हो जाता है, तो डॉक्टर एक ओव्यूलेशन ट्रिगर शॉट (Ovulation trigger shot) दे सकते हैं। यह शॉट आमतौर पर ह्यूमन कोरियोनिक गोनाडोट्रॉपिन (Human chorionic gonadotropin - hCG) हार्मोन से बना होता है।

  • यह स्टेप यह सुनिश्चित करता है कि स्पर्म सैंपल (Sperm sample) सही टाइम पर अंडे से मिल सके।
  • यह शॉट आमतौर पर IUI प्रोसीजर (IUI procedure) से 36 घंटे पहले दिया जाता है।
  • इस टाइमिंग से सक्सेसफुल प्रेग्नेंसी (Successful pregnancy) का चांस बढ़ता है।

इसके बाद अगले ही दिन आपका इनसेमिनेशन ट्रीटमेंट (Insemination treatment) शेड्यूल किया जाएगा।

4. IUI साइकिल टाइमिंग और IUI डे प्लानिंग

IUI के टाइम की प्लानिंग बहुत जरूरी होती है। इसलिए क्लिनिक आपके IUI साइकिल (IUI cycle) को बारीकी से मॉनिटर करता है।

  • साइकिल की निगरानी के लिए ब्लड टेस्ट, अल्ट्रासाउंड और हार्मोन लेवल ट्रैक किए जाते हैं।
  • जैसे ही शरीर ओव्यूलेशन के करीब आता है, डॉक्टर IUI प्रोसीजर शेड्यूल करते हैं।
  • कभी-कभी अंडा सही समय पर निकले, इसके लिए ट्रिगर शॉट भी दिया जाता है।
  • IUI आमतौर पर 24 से 36 घंटे बाद किया जाता है।

5. सेमेन सैंपल की तैयारी (Semen Sample Prep)

IUI के दिन सेमेन सैंपल (Semen sample) की ज़रूरत होती है—चाहे वह मेल पार्टनर से हो या स्पर्म डोनर (Sperm donor) से।

  • सैंपल कलेक्ट किया जाता है और फिर स्पर्म वॉशिंग (Sperm washing) किया जाता है।
  • स्पर्म वॉशिंग से कमजोर स्पर्म और सेमिनल फ्लूइड (Seminal fluid) हटा दिए जाते हैं, ताकि सिर्फ हेल्दी स्पर्म बचे।
  • यह साफ सैंपल फिर इनसेमिनेशन प्रोसीजर में यूज़ होता है।

अगर आप डोनर स्पर्म (Donor sperm) का इस्तेमाल कर रहे हैं, जिसे डोनर इनसेमिनेशन (Donor insemination) कहा जाता है, तो क्लिनिक स्पर्म बैंक (Sperm bank) से सब पहले से अरेंज कर देता है।


IUI के बाद: लक्षण और शुरुआती संकेत

After the IUI: Symptoms and Early Signs
IUI के बाद: लक्षण और शुरुआती संकेत
  • हल्का पेट दर्द या स्पॉटिंग (Mild cramping or spotting): आपको हल्का क्रैम्प जैसा दर्द या थोड़ी बहुत स्पॉटिंग हो सकती है। यह सामान्य है और आमतौर पर कैथेटर (Catheter) या ओव्यूलेशन (Ovulation) के कारण होता है — कोई चिंता की बात नहीं।
  • स्तनों में सूजन या फूला हुआ महसूस होना (Breast tenderness or bloating): IUI के बाद ऐसा महसूस होना आम है, खासकर अगर आप फर्टिलिटी मेडिकेशन्स (Fertility medications) ले रही हैं। ये लक्षण कभी-कभी शुरुआती प्रेग्नेंसी (Pregnancy) जैसे लग सकते हैं, लेकिन अभी कुछ कह पाना जल्दबाज़ी होगी।
  • योनि से डिस्चार्ज में बढ़ोतरी (Increased vaginal discharge): थोड़ा सा सफेद या साफ डिस्चार्ज बढ़ सकता है। यह आमतौर पर हानिकारक नहीं होता और इनसेमिनेशन (Insemination) के बाद शरीर के नेचुरल साइकल का हिस्सा होता है।
  • थकान या मूड बदलना (Feeling tired or moody): IUI के बाद हार्मोनल बदलाव — या सिर्फ़ इंतज़ार का तनाव — आपको थका हुआ या भावुक बना सकता है। इस स्टेज में ये सब पूरी तरह सामान्य है।
  • इम्प्लांटेशन के संकेत (Implantation signs – Maybe): कुछ महिलाओं को IUI के 6–12 दिन बाद हल्की स्पॉटिंग या क्रैम्प्स होते हैं। ये इम्प्लांटेशन (Implantation) हो सकता है — जब एम्ब्रायो (Embryo) यूटेरस (Uterus) की दीवार से जुड़ता है — लेकिन ये पक्का नहीं कहा जा सकता।
  • सिर्फ लक्षणों पर भरोसा न करें (Don’t rely too much on symptoms): कई बार शुरुआती प्रेग्नेंसी (Pregnancy) के संकेत PMS या फर्टिलिटी मेड्स (Fertility meds) के साइड इफेक्ट्स जैसे ही होते हैं। सबसे सही तरीका क्या है? 14 दिन बाद प्रेग्नेंसी टेस्ट (Pregnancy test) करें।

IUI की लागत – भारत

भारत में IUI की लागत: फर्टिलिटी क्लिनिक में क्या खर्च होता है (IUI Costs in India: What You’ll Pay at the Fertility Clinic)

सेवा का नाम औसतन लागत (₹) टिप्पणी
IUI प्रोसीज़र शुल्क (IUI procedure) ₹8,000 – ₹15,000 हर साइकिल का अलग शुल्क हो सकता है
सेमेन वॉशिंग (Semen washing) ₹2,000 – ₹5,000 अच्छे स्पर्म अलग करने के लिए
फर्टिलिटी दवाएं (Fertility medications) ₹2,000 – ₹10,000 ओवुलेशन को स्टिम्युलेट करने के लिए
अल्ट्रासाउंड और ब्लड टेस्ट (Ultrasound & Blood test) ₹3,000 – ₹6,000 ओवुलेशन ट्रैकिंग के लिए
डोनर स्पर्म (Donor sperm - अगर इस्तेमाल हो) ₹5,000 – ₹12,000 स्पर्म बैंक से आता है
कुल अनुमानित लागत (Total Estimated Cost) ₹15,000 – ₹40,000 सभी सेवाओं के साथ एक साइकिल का

IUI सफलता दर को क्या प्रभावित करता है? (What Affects IUI Success Rates)

What Affects IUI Success Rates?
IUI सफलता दर को क्या प्रभावित करता है? (What Affects IUI Success Rates)

IUI की सफलता उम्र, डायग्नोसिस (Diagnosis), और ओवरऑल रिप्रोडक्टिव हेल्थ (Reproductive health) पर निर्भर करती है। सच्चाई ये है कि इनसेमिनेशन ट्रीटमेंट (Insemination treatment) सभी के लिए एक जैसा काम नहीं करता। कुछ कपल्स को एक ही साइकल में प्रेग्नेंसी हो जाती है, तो कुछ को कई बार ट्राय करना पड़ता है।

अगर बात करें आंकड़ों की, तो 40 साल से कम उम्र की आधे से ज्यादा महिलाएं IUI की 6 साइकल्स में कंसीव कर लेती हैं। औसतन IUI की सफलता दर (Success rate) हर साइकल में 10% से 20% तक होती है।

आईये जानें कि किन कारणों से IUI के रिजल्ट पर फर्क पड़ता है:

  • महिला की उम्र (Age of the female partner): 35 से कम उम्र की महिलाओं की सफलता दर अधिक होती है।
  • स्पर्म क्वालिटी (Sperm quality): अगर स्पर्म की मूवमेंट (Motility) कम हो या उसका शेप नॉर्मल न हो, तो सफलता की संभावना घट जाती है। इसलिए स्पर्म वॉशिंग (Sperm washing) और हेल्दी स्पर्म सेलेक्शन जरूरी होता है।
  • IUI प्रोसीजर का टाइमिंग (Timing of the IUI procedure): यह ओव्यूलेशन (Ovulation) के समय पर होना चाहिए। इसलिए डॉक्टर्स हार्मोन ट्रैकिंग (Hormone tracking) और ट्रिगर शॉट्स (Trigger shots) का इस्तेमाल करते हैं।
  • एग क्वालिटी (Egg quality): अधिक मैच्योर एग्स (Mature eggs) से अच्छे रिजल्ट्स की संभावना बढ़ जाती है।
  • फर्टिलिटी क्लिनिक का अनुभव (Fertility clinic experience): भरोसेमंद क्लिनिक और स्किल्ड फर्टिलिटी स्पेशलिस्ट (Fertility specialist) सफलता में बड़ा फर्क डाल सकते हैं।
  • अन्य हेल्थ कंडीशंस (Underlying conditions): जैसे अनएक्सप्लेंड इनफर्टिलिटी (Unexplained infertility), सीवियर स्पर्म अबनॉर्मैलिटीज़ (Severe sperm abnormalities), या लो बर्थ वेट (Low birth weight) का इतिहास रिजल्ट्स पर असर डाल सकता है।

“IUI तब सबसे अच्छा काम करता है जब हर चीज सही समय पर और ध्यान से ट्रैक की गई हो,” – डॉ. अंशु अग्रवाल, भारत की टॉप फर्टिलिटी एक्सपर्ट्स में से एक।

निष्कर्ष:

इन्ट्रायूटेरिन इनसेमिनेशन (Intrauterine insemination - IUI) पेरेंटहुड की ओर पहला और पावरफुल कदम हो सकता है। ये सेफ है, किफायती है और सही देखभाल के साथ असरदार भी है। सही टाइमिंग, सही गाइडेंस और समझ के साथ आपकी सफल प्रेग्नेंसी की संभावना बहुत बढ़ सकती है।

अगर आप उलझन में हैं, तो किसी भरोसेमंद फर्टिलिटी स्पेशलिस्ट जैसे डॉ. अंशु अग्रवाल से सलाह लें। आप अकेले नहीं हैं — सही देखभाल से आपका सफर विश्वास से शुरू हो सकता है।