Pregnancy and Childbirth
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BMI और प्रेग्नेंसी (Pregnancy) के बारे में क्या जानना ज़रूरी है — और कैसे बने रहें सही ट्रैक (Track) पर

BMI और प्रेग्नेंसी (Pregnancy) को लेकर कन्फ्यूज़ हैं? चलिए इसे आसान भाषा में समझते हैं ताकि आपको पता चले कि क्या ज़रूरी है, क्या स्किप (Skip) कर सकते हैं, और कैसे आप सुरक्षित और कॉन्फिडेंट (Confident) रह सकते हैं।
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Written by
Swetha K
Published on
May 7, 2025

BMI और प्रेग्नेंसी (Pregnancy) को समझना सिर्फ नंबरों के बारे में नहीं है — ये जानना ज़रूरी है कि आपके शरीर का वज़न आपकी हेल्दी प्रेग्नेंसी (Healthy pregnancy) की जर्नी को कैसे प्रभावित कर सकता है। चाहे आप कंसीव (Conceive) करने की कोशिश कर रही हों या पहले से प्रेग्नेंट (Pregnant) हों, बॉडी मास इंडेक्स (Body mass index - BMI) को ट्रैक (Track) करना कुछ रिस्क जैसे जेस्टेशनल डायबिटीज़ (Gestational diabetes) या हाई ब्लड प्रेशर (High blood pressure) को पहचानने में मदद करता है।

असल में, Royal College of Obstetricians and Gynaecologists के अनुसार, जिन महिलाओं का BMI 30 या उससे ज़्यादा होता है, उन्हें हेल्दी रेंज में आने वाली महिलाओं की तुलना में जेस्टेशनल डायबिटीज़ (Gestational diabetes) होने का खतरा तीन गुना ज़्यादा होता है।

अच्छी बात क्या है? हेल्दी डाइट (Healthy diet), रेगुलर मूवमेंट (Regular movement), और हेल्थकेयर प्रोफेशनल (Healthcare professional) की मदद से आप छोटे-छोटे बदलाव करके हेल्दी बेबी (Healthy baby) और स्मूद प्रेग्नेंसी (Smooth pregnancy) की ओर कदम बढ़ा सकती हैं।

BMI क्या है?

BMI क्या है?

BMI यानी बॉडी मास इंडेक्स (Body Mass Index - BMI) एक ऐसा नंबर है जो आपकी हाइट और वज़न के आधार पर ये बताता है कि आपके शरीर में फैट (Fat) हेल्दी रेंज में है या नहीं। ये डायरेक्टली फैट को नहीं मापता, लेकिन एक ओवरऑल आइडिया देता है कि आपकी स्थिति क्या है। अगर शरीर में ज़रूरत से ज़्यादा फैट (Fat) हो, तो प्रेग्नेंसी (Pregnancy) से पहले और दौरान हेल्थ से जुड़ी परेशानियाँ हो सकती हैं।

अगर आपका BMI 30 या उससे ज़्यादा है, तो आपको ओवरवेट (Overweight) माना जाता है और कॉम्प्लिकेशंस (Complications) का रिस्क भी ज़्यादा हो सकता है।

CDC के अनुसार, “BMI अगर 30 या उससे ज़्यादा हो तो उसे ओबीज़ (Obese) माना जाता है और इससे डायबिटीज़ (Diabetes) और हार्ट डिज़ीज़ (Heart disease) जैसी गंभीर हेल्थ कंडीशंस का खतरा बढ़ जाता है।”

ये एक सिंपल और काम का टूल है — लेकिन पूरी तस्वीर नहीं दिखाता।

हेल्दी प्रेग्नेंसी (Healthy Pregnancy) के लिए BMI ट्रैक (Track) करना क्यों ज़रूरी है?

जब आप प्रेग्नेंट (Pregnant) होती हैं, तब BMI पर नज़र रखना वाकई में फर्क ला सकता है। इससे आपके डॉक्टर को यह बेहतर समझ आता है कि आपका वज़न आपकी प्रेग्नेंसी (Pregnancy) और आपके बेबी की डेवलपमेंट (Development) को कैसे प्रभावित कर सकता है। ये नंबर जजमेंट नहीं है — ये आपकी ओवरऑल हेल्थ (Overall health) को समझने का एक ज़रिया है।

1. वज़न से जुड़ी रिस्क को जल्दी पहचानने में मदद मिलती है

शुरुआती ट्रैकिंग से ऑब्स्ट्रक्टिव स्लीप एपनिया (Obstructive sleep apnea), जेस्टेशनल वज़न बढ़ना (Gestational weight gain), या स्लीप डिसऑर्डर (Sleep disorders) जैसी गंभीर स्थितियों की पहचान जल्दी हो सकती है। ये सिर्फ मेडिकल टर्म्स नहीं हैं — ये आपकी रोज़मर्रा की हेल्थ और बेबी की ग्रोथ (Growth) पर असर डाल सकते हैं।

“BMI अगर 30 से ऊपर हो, तो प्रेग्नेंट महिलाओं में फीटल ग्रोथ रेस्ट्रिक्शन (Fetal growth restriction) और बर्थ डिफेक्ट्स (Birth defects) जैसी कंडीशंस का रिस्क बहुत ज़्यादा होता है।” — American College of Obstetricians and Gynecologists (ACOG)

2. सही प्रीनेटल केयर (Prenatal care) और मॉनिटरिंग में मदद करता है

आपकी पहली प्रीनेटल विज़िट (Prenatal visit) पर ही BMI रिकॉर्ड किया जाता है। इसके बाद मिलने वाली केयर इसी पर बेस्ड होती है।

  • ब्लड शुगर (Blood sugar) की निगरानी और प्रेग्नेंसी कॉम्प्लिकेशंस (Pregnancy complications) पर नज़र रखने में मदद
  • ब्लड क्लॉट्स (Blood clots) और वाउंड इन्फेक्शन (Wound infections) के रिस्क का आंकलन
  • हाई ब्लड प्रेशर (High blood pressure) या स्लीप एपनिया (Sleep apnea) जैसी स्थितियों के लिए पहले से तैयारी

3. सेफ वज़न गेन (Weight gain) का टारगेट सेट करने में सपोर्ट करता है

BMI जानने से यह तय करने में मदद मिलती है कि प्रेग्नेंसी के दौरान कितना वज़न गेन करना सेफ रहेगा।

  • अगर दूसरा या तीसरा ट्राइमेस्टर (Trimester) में वज़न बहुत तेज़ी से बढ़े, तो इससे जेस्टेशनल एज मिस्टमैच (Gestational age mismatch) या फीटस की एंटॉमी (Fetus’s anatomy) से जुड़ी परेशानियाँ हो सकती हैं।

4. कॉम्प्लिकेशंस (Complications) का रिस्क कम करता है

BMI जितना ज़्यादा होगा, फर्टिलिटी प्रॉब्लम्स (Fertility problems), न्यूरल ट्यूब डिफेक्ट्स (Neural tube defects), और प्रीनेटल विज़िट (Prenatal visit) से जुड़ी कॉम्प्लिकेशंस का रिस्क उतना ही ज़्यादा होता है।

  • प्रेग्नेंसी से पहले थोड़ा वज़न कम करना भी फायदा पहुंचा सकता है।

5. बेबी के हेल्थ आउटकम्स (Health outcomes) को बेहतर बनाता है

BMI को सही तरीके से ट्रैक (Track) करने से बर्थ डिफेक्ट्स (Birth defects) का रिस्क कम होता है और बेबी की ग्रोथ और डेवलपमेंट (Growth and development) को सपोर्ट मिलता है।

  • इससे डिलीवरी के दौरान बेबी के शोल्डर इंजरी (Shoulder injury) का रिस्क भी कम हो सकता है।

6. पर्सनलाइज़्ड न्यूट्रिशन प्लान्स (Personalized nutrition plans) में मदद करता है

आपका डॉक्टर या हेल्थकेयर प्रोफेशनल (Healthcare professional) आपको ऐसा एक्सरसाइज़ प्लान (Exercise plan) और हेल्दी चेंजेस बता सकता है जो आपके और आपके बेबी — दोनों के लिए फायदेमंद हों।

  • प्रेग्नेंसी वज़न को सेफ तरीके से मैनेज करने में मदद
  • फिजिकली एक्टिव (Physically active) रहने को बढ़ावा
  • ज़रूरत से ज़्यादा वज़न गेन को कंट्रोल करने का टारगेट, बिना मेडिकल केयर को प्रभावित किए

BMI कैलकुलेटर (BMI Calculator) कब इस्तेमाल करें या डॉक्टर से कब बात करें?

अगर आप प्रेग्नेंट (Pregnant) होने की प्लानिंग कर रही हैं या पहले से ही प्रेग्नेंट हैं, तो BMI चेक करने के लिए इंतज़ार मत कीजिए। एक सिंपल BMI कैलकुलेटर (BMI Calculator) आपको ये समझने में मदद करता है कि आपकी स्थिति क्या है — और सबसे अच्छा यही रहेगा कि आप इसका रिज़ल्ट अपने डॉक्टर से डिस्कस करें, खासकर अगर आपको नहीं पता कि ये आपके लिए क्या मायने रखता है। ये सिर्फ एक नंबर नहीं है; ये आपकी हेल्थ कंडीशन (Health condition) और आपकी प्रेग्नेंसी (Pregnancy) पर उसके असर को समझने का ज़रिया है।

डॉक्टर्स सलाह देते हैं कि BMI को पहली प्रीनेटल विज़िट (Prenatal visit) से पहले या प्रेग्नेंसी की शुरुआत में ही चेक कर लेना चाहिए।

इससे यह पता लगाने में मदद मिलती है कि प्रेग्नेंसी के दौरान किसी कॉम्प्लिकेशन (Complication) का कितना रिस्क हो सकता है, खासकर अगर BMI यह दिखाता है कि आप ओवरवेट (Overweight) हैं या शरीर में ज़्यादा फैट (Fat) है।

जैसा कि NHS की एक गाइडलाइन कहती है — “आपके वज़न से जुड़े रिस्क जितनी जल्दी पहचाने जाएं, आपकी केयर प्लान (Care plan) उतनी बेहतर तरीके से मैनेज की जा सकती है।”

इन स्थितियों में अपने डॉक्टर से ज़रूर बात करें:

  • आपकी प्रेग्नेंसी हाई BMI की वजह से रिस्क में है
  • आपने पहले वज़न कम करने की सर्जरी (Weight loss surgery) करवाई है
  • आपको नहीं पता कि ओबेसिटी (Obesity) आपकी फर्टिलिटी (Fertility) या बेबी पर कैसे असर डाल सकती है
  • आपको चलने-फिरने में सांस फूलना या पेन रिलिफ (Pain relief) से जुड़ी दिक्कत हो रही है
  • आप अपने फीटस (Fetus) की हेल्थ को लेकर सवालों में हैं या एक सिंपल प्रेग्नेंसी चाहते हैं
  • आपको सेफ डिलीवरी या ब्लड वेसल स्ट्रेन (Blood vessel strain) जैसी दिक्कतों की चिंता है
  • लैब रिपोर्ट में ग्लूकोज़ (Glucose) जैसे शब्दों को समझ नहीं पा रही हैं
  • आपकी प्रेग्नेंसी में असहजता या कुछ अजीब लक्षण बढ़ रहे हैं

“अपने BMI और ज़रूरत के हिसाब से पर्सनल प्रेग्नेंसी केयर प्लान (Pregnancy care plan) पाएं — अभी Dr. Anshu Agarwal से सलाह लें।

प्रेग्नेंसी (Pregnancy) के लिए हेल्दी वज़न कितना होना चाहिए?

आपको समझ नहीं आ रहा कि प्रेग्नेंसी (Pregnancy) के दौरान हेल्दी वज़न क्या होता है? कोई बात नहीं — आप अकेली नहीं हैं। नीचे दी गई टेबल में BMI रेंज और आमतौर पर कितना वज़न बढ़ना ठीक माना जाता है, ये बताया गया है, ताकि आप अपने शरीर और बेबी के लिए सही गाइडलाइन समझ सकें।

BMI रेंज (प्रेग्नेंसी से पहले) वज़न की श्रेणी कुल अनुशंसित वज़न गेन औसत साप्ताहिक वज़न गेन (दूसरे और तीसरे ट्राइमेस्टर में) मुख्य बातें (Key Considerations)
18.5 से कम अंडरवेट (Underweight) 28–40 पाउंड्स (12.5–18 किलो) 1–1.3 पाउंड्स (0.45–0.59 किलो) बेबी की ग्रोथ पर नज़र रखना ज़रूरी
18.5–24.9 नॉर्मल (Normal / Healthy weight) 25–35 पाउंड्स (11.5–16 किलो) 0.8–1 पाउंड (0.36–0.45 किलो) बैलेंस्ड डाइट और रेगुलर एक्टिविटी ज़रूरी
25.0–29.9 ओवरवेट (Overweight) 15–25 पाउंड्स (7–11.5 किलो) 0.5–0.7 पाउंड्स (0.23–0.32 किलो) जेस्टेशनल डायबिटीज़ और ब्लड प्रेशर की निगरानी करें
30.0 या उससे अधिक ओबीज़ (Obese) 11–20 पाउंड्स (5–9 किलो) 0.4–0.6 पाउंड्स (0.18–0.27 किलो) कॉम्प्लिकेशंस का रिस्क ज़्यादा, क्लोज़ मॉनिटरिंग ज़रूरी

कितना वज़न ओवरवेट (Overweight) या ओबीज़ (Obese) माना जाता है?

  • अगर आपका BMI 25 से 29.9 के बीच है, तो आपको ओवरवेट (Overweight) माना जाता है — मतलब, अगर आपकी हाइट 1.65 मीटर है, तो आपका वज़न करीब 68 से 81 किलो के बीच होगा।
  • अगर BMI 30 या उससे ज़्यादा है, तो वो ओबीज़ (Obese) कैटेगरी में आता है — यानी लगभग 82 किलो या उससे ज़्यादा उसी हाइट पर।

ये नंबर किसी जजमेंट के लिए नहीं हैं — ये सिर्फ ये समझने में मदद करते हैं कि आपके शरीर में फैट (Fat) कितना है और प्रेग्नेंसी (Pregnancy) के दौरान आपको किस तरह की केयर या सपोर्ट की ज़रूरत हो सकती है।

हाई(High) या लो(Low) BMI से कौन-सी हेल्थ प्रॉब्लम्स(Health Problems) हो सकती हैं?

हाई(High) या लो(Low) BMI से कौन-सी हेल्थ प्रॉब्लम्स(Health Problems) हो सकती हैं?

आपका BMI सिर्फ एक पेपर पर लिखा नंबर नहीं है — ये आपकी प्रेग्नेंसी (Pregnancy) को काफी हद तक प्रभावित कर सकता है। हाई और लो — दोनों ही BMI से जुड़ी कुछ यूनिक रिस्क होती हैं जो आपकी और आपके बेबी की हेल्थ पर असर डाल सकती हैं। इन्हें जानना आपको बेहतर तैयारी और सपोर्ट पाने में मदद करता है।

1. जेस्टेशनल डायबिटीज़ (Gestational diabetes) का रिस्क बढ़ जाता है

अगर BMI 30 से ऊपर है, तो जेस्टेशनल डायबिटीज़ का रिस्क तीन गुना बढ़ सकता है।

  • ब्लड शुगर (Blood sugar) नॉर्मल लिमिट से ज़्यादा बढ़ सकता है
  • इंसुलिन (Insulin) की ज़रूरत पड़ सकती है या जल्दी डिलीवरी करनी पड़ सकती है
  • बच्चे में बाद में मोटापा (Obesity) का रिस्क बढ़ जाता है

RCOG के अनुसार, ओबेसिटी (Obesity) वाली महिलाओं में जेस्टेशनल डायबिटीज़ तीन गुना ज़्यादा होती है।

2. हाई ब्लड प्रेशर (High blood pressure) और प्रीएक्लेम्पसिया (Preeclampsia)

ज़्यादा वज़न खतरनाक स्तर तक ब्लड प्रेशर को बढ़ा सकता है।

  • ब्लड वेसल्स (Blood vessels) को नुकसान पहुँच सकता है
  • जल्दी डिलीवरी की ज़रूरत पड़ सकती है
  • प्रीनेटल केयर (Prenatal care) के दौरान रेगुलर मॉनिटरिंग ज़रूरी होती है

3. प्रीमैच्योर बर्थ (Premature birth) या लो बर्थ वेट (Low birth weight)

लो BMI होने पर बेबी की ग्रोथ उम्मीद से कम हो सकती है।

  • NICU एडमिशन का रिस्क ज़्यादा होता है
  • लॉन्ग टर्म लर्निंग पर असर पड़ सकता है
  • अक्सर मां के पोषण की कमी (Poor maternal nutrition) से जुड़ा होता है

4. लेबर और डिलीवरी के दौरान मुश्किलें

BMI का बहुत ज़्यादा या बहुत कम होना नॉर्मल वेजाइनल डिलीवरी को कठिन बना सकता है।

  • एपिड्यूरल (Epidural) देने में पोजिशनिंग की दिक्कतें
  • सर्विक्स का धीरे डाइलेट (Delayed cervical dilation) होना
  • फिजिकल स्ट्रेन (Physical strain) ज़्यादा

5. सी-सेक्शन (Cesarean section) का रिस्क ज़्यादा होता है

स्टडीज़ बताती हैं कि जैसे-जैसे BMI बढ़ता है, सी-सेक्शन की संभावना भी बढ़ती है।

  • रिकवरी टाइम ज़्यादा
  • इंफेक्शन (Infection) का रिस्क ज़्यादा
  • वाउंड इंफेक्शन (Wound infections) की संभावना अधिक

6. लो BMI से न्यूट्रिएंट डेफिशियेंसी (Nutrient deficiencies)

पूरा पोषण ना मिलने से बेबी की डेवलपमेंट पर असर पड़ सकता है।

  • आयरन (Iron) और फोलेट (Folate) लेवल कम होना
  • न्यूरल ट्यूब डिफेक्ट्स (Neural tube defects) का रिस्क
  • प्रेग्नेंसी के दौरान धीमी वज़न बढ़ोतरी

7. फीटल ग्रोथ (Fetal growth) में देरी या डेवलपमेंट इशूज़

अंडरवेट मांओं में फीटस की एनाटॉमी (Fetus’s anatomy) से जुड़ी समस्याएं हो सकती हैं।

  • सिर या हड्डियों का छोटा आकार
  • फीटल ग्रोथ रेस्ट्रिक्शन (Fetal growth restriction) संभव
  • डॉक्टर एक्स्ट्रा स्कैन की सलाह दे सकते हैं

8. बेबी की लॉन्ग-टर्म हेल्थ पर असर

मां का वज़न बच्चे की भविष्य की हेल्थ को भी प्रभावित करता है।

  • बच्चे के मेटाबॉलिज्म (Metabolism) पर असर
  • जल्दी हार्ट डिज़ीज़ (Heart disease) और ओबेसिटी (Obesity) से जुड़ा
  • अब BMI को महिलाओं की हेल्थ स्क्रीनिंग (Health screening) का अहम हिस्सा माना जाता है

“प्रेग्नेंसी के दौरान ओबेसिटी (Obesity) बच्चे में लॉन्ग-टर्म हेल्थ प्रॉब्लम्स जैसे डायबिटीज़ (Diabetes) और हार्ट डिज़ीज़ से जुड़ी होती है।” — Mayo Clinic

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प्रेग्नेंसी (Pregnancy) के दौरान हेल्दी वज़न बनाए रखने के टिप्स(Tips)

प्रेग्नेंसी (Pregnancy) के दौरान हेल्दी वज़न बनाए रखने के टिप्स(Tips)

ये किसी सख्त रूल की बात नहीं है — ये उन छोटे कदमों की बात है जो आपको और आपके बेबी को हेल्दी रखते हैं। प्रेग्नेंसी (Pregnancy) में वज़न को मैनेज करना मुश्किल नहीं है, अगर आप कुछ रेगुलर हेल्दी आदतें अपनाएं। यहां बताया गया है कि इसे कैसे आसान बनाया जा सकता है:

1. बैलेंस्ड और न्यूट्रिशस डाइट (Balanced and Nutritious Diet) अपनाएं

वेरायटी में होल फूड्स खाने से बेबी की न्यूट्रिशनल ज़रूरतें पूरी होती हैं। दो लोगों के लिए खाने की ज़रूरत नहीं — स्मार्ट खाना ज़रूरी है। कोशिश करें कि ताज़ा और अनप्रोसेस्ड फूड खाएं।

  • लीन प्रोटीन (Lean proteins), होल ग्रेन्स (Whole grains), फ्रूट्स और वेजिटेबल्स को चुनें
  • खाली कैलोरी (Empty-calorie) वाले फूड्स से बचें जो वज़न अचानक बढ़ा सकते हैं
  • रोज़ाना आयरन (Iron) और कैल्शियम (Calcium) से भरपूर चीज़ें लें

2. हल्की फिजिकल एक्टिविटी (Physical activity) को रेगुलर रखें

जेंटल मूवमेंट डाइजेशन, स्लीप और मूड को सपोर्ट करता है। दिन के सिर्फ़ 20–30 मिनट का असर भी बड़ा हो सकता है। कोई नई एक्टिविटी शुरू करने से पहले अपने डॉक्टर से ज़रूर पूछें।

  • प्रीनेटल योगा (Prenatal yoga), वॉकिंग (Walking), या स्ट्रेचिंग (Stretching) ट्राय करें
  • ओवरएक्सर्शन से बचें और हाइड्रेटेड रहें
  • अगर चक्कर आए या ठीक न लग रहा हो तो तुरंत रुक जाएं

3. अपने वज़न पर रेगुलर नज़र रखें

हर हफ्ते खुद को वज़न करना आपको अवेयर रखता है बिना टेंशन के।

  • अगर अचानक वज़न बढ़े या घटे, तो डॉक्टर से बात करें। बात सिर्फ़ अवेयरनेस की है, घबराहट की नहीं।

4. डॉक्टर द्वारा बताई गई प्रीनेटल विटामिन्स (Prenatal vitamins) लें

विटामिन्स आपकी डेली डाइट की न्यूट्रिशनल कमियों को पूरा करते हैं।

  • फोलिक एसिड (Folic acid), आयरन (Iron), और DHA खासतौर पर ज़रूरी हैं। वही लें जो डॉक्टर ने सजेस्ट किया है।

5. शुगर और प्रोसेस्ड फूड्स (Processed foods) कम करें

अधिकतर प्रोसेस्ड स्नैक्स ब्लड शुगर को जल्दी बढ़ा देते हैं।

  • ये ना तो लॉन्ग टर्म एनर्जी देते हैं और ना ही ज़रूरी न्यूट्रिएंट्स। इन्हें कम करने से वज़न स्थिर रहेगा।

6. पूरे दिन हाइड्रेटेड (Hydrated) रहें

पानी की कमी कई बार भूख जैसा लग सकती है, जिससे ओवरईटिंग हो सकती है।

  • पानी डाइजेशन, न्यूट्रिएंट फ्लो और फीटल डेवलपमेंट (Fetal development) में मदद करता है। दिन में कम से कम 8 गिलास पानी पिएं।

7. पूरी नींद लें और स्ट्रेस मैनेज करें

कम नींद से क्रेविंग्स और थकान बढ़ सकती है।

  • स्ट्रेस आपके हार्मोन और वज़न कंट्रोल दोनों को प्रभावित करता है। खुद को टाइम दें — रेस्ट करें, गहरी सांस लें और रीचार्ज हों।

8. पर्सनल गाइडेंस के लिए अपने डॉक्टर से सलाह लें

अगर आपको समझ नहीं आ रहा कि कहां से शुरू करें, तो अपने डॉक्टर से टेलर्ड प्लान बनवाएं। ज़रूरत पड़ी तो वे प्रेग्नेंसी से पहले या बाद में सेफ वज़न लॉस (Weight loss) में भी मदद कर सकते हैं।

CDC के अनुसार, प्रेग्नेंसी से पहले सिर्फ 5–10% वज़न कम करना भी फर्टिलिटी (Fertility) सुधारता है और कॉम्प्लिकेशंस का रिस्क घटाता है।

"क्या आप समझ नहीं पा रही हैं कि आपका वज़न सही ढंग से बढ़ रहा है या नहीं? एक्सपर्ट गाइडेंस के लिए अभी Dr. Anshu Agarwal से सलाह लें।"

प्रेग्नेंसी (Pregnancy) के दौरान हेल्दी ईटिंग (Healthy eating) की क्या भूमिका होती है?

  • मां और बेबी — दोनों के लिए वज़न का हेल्दी और स्टेडी गेन सपोर्ट करता है
  • जेस्टेशनल डायबिटीज़ (Gestational diabetes) जैसी कॉम्प्लिकेशंस का रिस्क कम करता है
  • आपके शरीर को आयरन (Iron), कैल्शियम (Calcium), और DHA जैसे ज़रूरी न्यूट्रिएंट्स मिलते हैं

फोलिक एसिड (Folic acid) शुरुआती प्रेग्नेंसी ट्राइमेस्टर (Pregnancy trimester) में क्यों ज़रूरी है?

  • शुरुआती प्रेग्नेंसी में न्यूरल ट्यूब डिफेक्ट्स (Neural tube defects) को रोकने में मदद करता है
  • फीटस के ब्रेन और स्पाइन की हेल्दी डेवलपमेंट (Healthy brain and spinal development) को सपोर्ट करता है
  • प्रेग्नेंसी से पहले और पहले कुछ हफ्तों के दौरान लेना सबसे असरदार होता है

FAQs (अक्सर पूछे जाने वाले सवाल)

1. क्या प्रेग्नेंसी (Pregnancy) में अगर आप ओवरवेट (Overweight) हैं तो वज़न कम कर सकती हैं?
प्रेग्नेंसी के दौरान एक्टिव वज़न लॉस (Weight loss) का टारगेट नहीं होना चाहिए, लेकिन आप मेडिकल गाइडेंस के साथ सेफ तरीक़े से वज़न मैनेज कर सकती हैं। हेल्दी ईटिंग (Healthy eating) और हल्की फिजिकल एक्टिविटी (Light movement) पर ध्यान दें। आपका डॉक्टर आपकी और आपके बेबी की सेफ्टी के लिए प्लान को एडजस्ट करने में मदद कर सकता है।

2. प्रेग्नेंसी में बेबी का वज़न ज़्यादा होने से कैसे बचें?
ब्लड शुगर लेवल (Blood sugar level) को बैलेंस्ड डाइट (Balanced diet) और रेगुलर चेकअप्स से कंट्रोल में रखें। जेस्टेशनल डायबिटीज़ (Gestational diabetes) को मैनेज करना सबसे अहम है। अपने हेल्थकेयर प्रोवाइडर की वज़न गेन लिमिट्स और एक्टिविटी गाइडलाइंस को फॉलो करें।

3. प्रेग्नेंट महिला के लिए आइडियल वज़न क्या होता है?
कोई एक “आइडियल वज़न” नहीं होता, लेकिन आपकी प्रेग्नेंसी से पहले की BMI ये तय करने में मदद करती है कि कितना वज़न गेन हेल्दी माना जाएगा। अधिकतर महिलाओं के लिए 11–16 किलो (25–35 पाउंड्स) तक का वज़न गेन नॉर्मल होता है, ये BMI कैटेगरी पर डिपेंड करता है।

4. प्रेग्नेंसी के दौरान फैट कैसे कम करें?
न्यूट्रिएंट-डेंस फूड्स (Nutrient-dense foods) पर ध्यान दें और डॉक्टर-अप्रूव्ड एक्सरसाइज़ (Doctor-approved exercise) करते रहें। इससे बिना बेबी को नुकसान पहुंचाए फैट बढ़ने से रोका जा सकता है। कभी भी रेस्ट्रिक्टिव डाइट (Restrictive diet) न अपनाएं।

5. प्रेग्नेंसी में मेरा वज़न क्यों घट रहा है?
पहले ट्राइमेस्टर (First trimester) में नॉज़िया या डाइट में बदलाव की वजह से थोड़ा वज़न कम हो सकता है। लेकिन अगर ये लगातार होता रहे, तो अपने डॉक्टर से बात करें। अगर इसे सही से मैनेज न किया जाए तो ये बेबी की ग्रोथ (Growth) को प्रभावित कर सकता है।

निष्कर्ष (Conclusion)

अपनी BMI को ट्रैक (Track) करना और सोच-समझकर बदलाव लाना आपकी पूरी प्रेग्नेंसी एक्सपीरियंस को बेहतर बना सकता है। बात परफेक्शन की नहीं — प्रोग्रेस की है।

सही सपोर्ट, हेल्दी हैबिट्स और रेगुलर डॉक्टर चेक-इन से आप हर कदम पर खुद और अपने बेबी की अच्छी केयर कर सकती हैं। अपने शरीर पर भरोसा रखें और अपने डॉक्टर से जुड़े रहें।